ख़्वाजा मीर दर्द | |
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स्थानीय नाम | خواجہ میر درد |
जन्म | सय्यद ख़्वाजा 1720 दिल्ली, मुग़ल साम्राज्य |
मौत | 1785 (84-85) |
पेशा | शायर |
भाषा | उर्दू |
विधा | nafsi, lafzi |
उल्लेखनीय कामs | Chahaar Risaala, Ilm-ul Kitaab |
ख़्वाजा मीर दर्द (1720-1785) ( उर्दू : خواجہ میر درد ) दिल्ली स्कूल के एक कवि थे। वह नक़्शबंदी-मुजद्दी सिल्सीला और एक रहस्यवादी कवि और सूफ़ी संत थे। उन्होंने अपनी रहस्यवाद को कविता में अनुवादित किया।
'इल्म-उल-किताब' से इस भ्रमपूर्ण जीवन पर डार्ड का दोहराव [1]:
دوستو، دیکها تماشا یہاں کا بس
हिंदी अनुवाद:
“ |
दोस्तों, देखा तमाशा यहां का बस। तुम रहो खुश, हम तो अपने घर चले। |
” |
— दर्द |