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खिरनी या माइमोसॉप्स हेक्जैंड्रा (Mimosops hexandra) ४०-५० फुट ऊँचा घना वृक्ष है, जो उत्तरी भारत में स्वत: उगता है, अथवा उगाया जाता है। इसमें पीले छोटे फल लगते हैं, जो खाने में काफी मीठे और स्वादिष्ठ होते हैं। वृक्ष की छाल औषधि के कार्य में आती है। बीज से तेल निकाला जाता है। इसकी लकड़ी बहुत मजबूत होती है।
खिरनी का पेड़ भारत में उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, गुजरात ,छत्तीसगढ़, बिहार, महाराष्ट्र, तमिलनाडु आदि जगहों में होता है। खिरनी का पेड़ बहुत बड़ा होता है। इसके फल नीम के फल जैसे होते है। उन्हें खिरनी कहते हैं। इन्हें रायनी या रायना भी कहते हैं। खिरनी बहुत मीठा और गरम होता है और इसमें दूध भी होता है। खिरनी के पेड़ की लकड़ी मजबूत और चिकनी होती है।
खिरनी के पेड़ पर सितम्बर से दिसम्बर के महीनों में फूल उगते हैं और अप्रैल से जून के महीनें में फल लगते हैं। बारीश आने पर इसका मौसम पूरा होता है। बरसात की छीटे पड़ते ही इसके फल में कीड़े पड़ जाते हैं। खिरनी का पेड़ काफी सालों तक टिका रहता है खिरनी के पेड़ कई हजारों साल पुराने तक देखे गये हैं। इसकी लकड़ी को खडे होते हैं! चौदह खडोंवाली लकड़ी बुढ़ेे लोग हातमें लेकर चलने कें लिए उपयोग करते हैं खिरणी कें टहनी से दुध निकलता हैं बच्चे को कृमी होनेपर इसका दुध चटाते हैं माता को दुध कम होनेपर खिरणी कें फल खाणे को देते हैं
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