खिलाड़ी 420 | |
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खिलाड़ी 420 का पोस्टर | |
निर्देशक | नीरज वोरा |
लेखक | उत्तम गड़ा |
निर्माता | केशु रामसे |
अभिनेता |
अक्षय कुमार, महिमा चौधरी, गुलशन ग्रोवर, आलोक नाथ |
संगीतकार | संजीव-दर्शन |
प्रदर्शन तिथियाँ |
29 दिसम्बर, 2000 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
खिलाड़ी 420, वर्ष 2000 में बनी हिन्दी भाषा की एक्शन फ़िल्म है। इसका निर्देशन नीरज वोरा ने किया और इसमें अक्षय कुमार और महिमा चौधरी प्रमुख भूमिकाओं में हैं।[1]
श्याम प्रसाद भारद्वाज (आलोक नाथ) एक करोड़पति उद्योगपति है और उनका व्यवसाय दुनिया भर में फैला हुआ है। उनकी एक बेटी, रितु (महिमा चौधरी) है, जो विवाह योग्य उम्र की है। वह देव कुमार (अक्षय कुमार) को काम पर रखता है और उससे प्रभावित होता है। श्याम चाहता है कि रितु और देव शादी कर लें। लेकिन सगाई के कुछ दिन बाद, श्याम को पता चला कि देव उसके पैसे के पीछे पड़ा है। देव, श्याम को इस राज़ को दबाने के लिए मार देता है लेकिन रितु की छोटी बहन रिया यह देख लेती है। लड़की गहरे सदमे में चली जाती है और देव उस पर लगातार नजर रखता है। देव उसकी भी हत्या करने की योजना बनाता है लेकिन रितु को किसी तरह सच्चाई का पता चल जाता है। देव अपने हनीमून की रात को रितु को मारने की कोशिश करता है, लेकिन रितु उसे ही मार देती है।
डरी हुई रितु अपनी दादी के पास जाती है जो उसे बताती हैं कि देव आहत है लेकिन अस्पताल में जीवित है। अस्पताल में देव के शरीर पर एक खरोंच तक भी नहीं होती। देव ऐसा व्यवहार करता है कि मानो कुछ हुआ ही न हो। घर में सभी लोग उसे देव मानते हैं। अंत में, जब वे अकेले होते हैं तो वो रितु को अपनी असली पहचान बताता है। वह बताता है कि वह वास्तव में देव का जुड़वाँ भाई आनंद है। आनंद बताता है कि देव अपराधिक कार्यों में पड़ गया था, जो आनंद को नापसंद था। देव ने आनंद को सिर्फ एक हफ्ते पहले बताया था कि उसने शादी कर ली है और उसने आनंद को रितु और उसके परिवार के बारे में सारी जानकारी दी थी। अब देव शायद मर चुका है, जिसके लिए वह रितु का आभारी है क्योंकि देव की उनकी हत्या करने की योजना थी। रितु और आनंद इस राज़ को गुप्त रखते हैं। हालाँकि, रितु के एक पुराने दोस्त इंस्पेक्टर राहुल (सुधाँशु पांडे) को शक हो जाता है। इसके अलावा, देव की प्रेमिका, जिसे आनंद पहचानता नहीं है, सोचती है कि देव ने उसे छोड़ दिया है। देव का एक और शत्रु एक अपराधी (मुकेश ऋषि) है।
रितु धीरे-धीरे आनंद को चाहने लगती है, लेकिन आनंद अपनी भावनाओं को प्रकट नहीं करता है। आनंद को दोहरा जीवन जीना होता है - बुरे लोगों के सामने, वह आनंद है जबकि रितु के परिवार के सामने वह देव है। राहुल को शक हो जाता है कि रितु और देव ने श्याम की हत्या की साजिश रची। रितु को बचाने के लिए आनंद दोष अपने ऊपर पर ले लेता है। आनंद राहुल को सच्ची कहानी बताता है, जिसे वह अनिच्छा से मान लेता है। राहुल ने प्रस्ताव रखा कि आनंद केवल तभी जीवित रह सकता है जब देव का मृत शरीर मिल जाए। आनंद राहुल की योजना के अनुसार हिरासत से भाग जाता है और अपने भाई के शरीर को उस स्थान से निकाल देता है जहां रितु ने उसे छिपाया था। देव के दुशमन एकजुट होकर आनंद को मारने की कोशिश करते हैं। आनंद खलनायक को मारने में सफल हो जाता है। जब देव का शव मिलता है तो अदालत मामला बंद कर देती है। आनंद बच जाता है और रितु के साथ एकजुट हो जाता है।
सभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत संजीव-दर्शन द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "दिल ले ले दिल दे दे" | अभिजीत, अलका याज्ञिक | 5:07 |
2. | "बत्तियाँ बुझा दो कुछ बात" | सोनू निगम, कविता कृष्णमूर्ति | 5:36 |
3. | "मेरी बीवी का जवाब नहीं" | सोनू निगम | 4:39 |
4. | "धीरे धीरे सनम" | उदित नारायण, महालक्ष्मी अय्यर | 5:17 |
5. | "जागते हैं हम रात रात भर" | सोनू निगम, कविता कृष्णमूर्ति | 4:22 |
6. | "कैसा ये प्यार है" | कुमार सानु, कविता कृष्णमूर्ति | 5:44 |
7. | "जागते हैं हम" (वाद्य रचना) | N/A | 4:21 |
8. | "कैसा ये प्यार" (वाद्य रचना) | N/A | 5:44 |