खेजड़ली | |
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गाँव | |
खेजड़ली नरसंहार स्थल | |
निर्देशांक: 26°09′N 73°09′E / 26.15°N 73.15°Eनिर्देशांक: 26°09′N 73°09′E / 26.15°N 73.15°E | |
देश | India |
राज्य | राजस्थान |
जिला | जोधपुर |
भाषा | |
• अधिकारिक | हिन्दी, मारवाड़ी |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+5:30) |
पिन कोड | 342802 |
Coordinates are from Wikimapia |
खेजड़ली जोधपुर राजस्थान में स्थित है। यह गाँव जोधपुर से 26 किमी. दूर है। इस गाँव में खेजड़ी वृक्षों की बहुतायत के कारण इसका नाम खेजड़ली पड़ा है। 12 सितम्बर सन् 1730 में अमृता देवी बिश्नोई सहित चोरासी गांव के 363 बिश्नोई [69 महिलाएं और 294 पुरुष]खेजड़ी हरे वृक्षों को बचाने के लिए खेजड़ली में शहीद हुए थे।[1][2] खेजड़ली और इसके आसपास के गांवों में बिश्नोई लोगों की प्रधानता के कारण यहां वृक्ष कटाई और शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया गया है। 12सितम्बर सन् -1730 को पर्यावरण की रक्षा के लिए राष्ट्रीय पर्यावरण दिवस के रूप खेजङली आंदोलन शुरु हुआ था।[3] 12 सितम्बर 1978 से खेजड़ली दिवस मनाया जा रहा हैं। खेजड़ली में विश्व का एकमात्र वृक्ष मेला लगता है। खेजड़ली स्थान बिश्नोई समाज का पवित्र स्थल है। खेजड़ली गांव में हुई इस घटना के समय वहां के राजा महाराजा अभयसिंह थे। इन्होंने अपने मंत्री गिरधारी सिंह को खेजड़ी के वृक्षों के लिए आदेश दिया था। तब मंत्री गिरधारी सिंह ने खेजड़ली गांव में राजा के आदेश पर वृक्ष काटने प्रारंभ किए तब सबसे पहले अमृता देवी बिश्नोई पेड़ो के चिपक कर शहीद हो गई।
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