खोर्धा
Khordha ଖୋର୍ଦ୍ଧା | |
---|---|
![]() माँ बरूनई मंदिर | |
निर्देशांक: 20°11′N 85°37′E / 20.18°N 85.62°Eनिर्देशांक: 20°11′N 85°37′E / 20.18°N 85.62°E | |
देश | ![]() |
राज्य | ओड़िशा |
ज़िला | खोर्धा ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 46,205 |
भाषा | |
• प्रचलित भाषाएँ | ओड़िया |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
खोर्धा (Khordha) भारत के ओड़िशा राज्य के खोर्धा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2][3]
प्रारंभ में खुरदा के नाम से मशहूर उड़ीसा का खोर्धा जिला 2889 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। दया और कूखई यहां से बहने वाली प्रमुख नदियां हैं। इस जिले का निर्माण 1 अप्रैल 1993 को पुरी और नयागढ़ जिले को काटकर किया गया था। उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर इस जिले के अन्तर्गत ही आती है। खोर्धा आरंभ में उड़ीसा शासकों की राजधानी थी। यह जिला कुटीर उद्योगों, चरखा मिल, केबल फैक्ट्री, रेलवे कोच रिपेयरिंग फैक्ट्री और तेल उद्योग के लिए लोकप्रिय है। अत्री, बानपुर, बरूनई हिल, चिलिका, हीरापुर और नंदनकानन अभयारण्य जिले के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
खोर्धा की स्थिति 20°11′N 85°37′E / 20.18°N 85.62°E[4] पर है। इसकी औसत ऊंचाई 75 मीटर (246 फी॰) है।
खोर्धा से 2 किलोमीटर की दूरी पर यह छोटी पहाड़ी स्थित है। समुद्र तल से 305 फीट की ऊंचाई पर स्थित इस पहाड़ी का अधिकांश हिस्सा जंगल से ढका रहता है। पहाड़ी के तल पर एक किला देखा जा सकता है जो अब क्षतिग्रस्त अवस्था में है। देवी बरूनई को समर्पित एक मंदिर भी पहाड़ी की उत्तरी ढलान की ओर बना है। पहाड़ी में बनी कुछ गुफाएं यहां की सबसे बड़ी खासियत है। पांडवगुफा इन गुफाओं में सबसे विशाल है जिसमें 100 व्यक्ति आसानी से ठहर सकते हैं। गुफाओं में प्राचीन अभिलेख खुदे हुए हैं। मंदिर के साथ ही एक मौसमी झरना भी देखा जा सकता है।
यह स्थान पुरातत्व की दृष्टि से काफी लोकप्रिय है। यहां बड़ी संख्या में बौद्ध अवशेष प्राप्त हुए हैं। कांस्य प्रतिमाओं का बड़ा जखीरा यहां मिला है, जो कला के बेहतरीन नमूने हैं। वर्गाकार स्तूप भी यहां देखा जा सकता है। यहां के मंदिर में अनेक प्राचीन मूर्तियों का संग्रह देखा जा सकता है। यह स्थान भुवनेश्वर से 104 किलोमीटर और बानपुर से 2 किलोमीटर दूर है।
अत्री भुवनेश्वर से 42 किलोमीटर दूर है। इसकी लोकप्रियता यहां के एक सल्फर झरने और हटकेश्वर मंदिर के कारण है। इन्हें देखने के लिए सैलानियों का नियमित आना-जाना लगा रहता है।
उड़ीसा की राजधानी भुवनेश्वर को टेम्पल सिटी ऑफ इंडिया के नाम से जाता है। लिंगराज मंदिर, खंडगिरी, केदार गौरी, राम मंदिर आदि यहां के चर्चित मंदिर हैं। इन मंदिरों के अलावा म्युजियम, बिन्दुसागर टैंक, रवीन्द्र मंडप, राज भवन, नंदनकानन, पार्क और बगीचे आदि यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
चिलिका भुवनेश्वर से लगभग 100 किलोमीटर दूर है। यहां की चिल्का झील देश की सबसे बड़ी झील है। प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण इस झील के पास ही नौसेना प्रशिक्षण केन्द्र भी देखा जा सकता है। चिल्का झील में अनेक प्रकार के प्रवासी पक्षियों को देखा जा सकता है। राज्य सरकार ने इस स्थान का पक्षी अभयारण्य घोषित कर रखा है।
नंदनकानन चिड़ियाघर के निकट स्थित इस उद्यान को 1963 में स्थापित किया गया था। चिड़ियाघर और पार्क के बीच बहती एक झील इस पार्क को चिड़ियाघर से अलग करती है। प्रकृति प्रेमी पौधों विविध प्रजातियां यहां देख सकते हैं। पार्क का मुगल गार्डन, होलीडे कॉटेज, चिन्ड्रन्स पार्क, ग्लास हाउस और जापानी गार्डन आदि मुख्य आकर्षण हैं।
भुवनेश्वर से 13 किलोमीटर दूर स्थित शिशुपालगढ़ शिशुपालगढ़ किले के लिए प्रसिद्ध है। प्राचीन वैभव का प्रतीक यह किला क्षतिग्रस्त अवस्था में पहुंच चुका है। पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग ने यहां तोशाली नामक स्थान का भी पता लगाया है।
भुवनेश्वर में खोर्धा का नजदीकी एयरपोर्ट है। यह एयरपोर्ट दिल्ली, कोलकाता, मुंबई, हैदराबाद और विशाखपट्टनम आदि शहरों से नियमित फ्लाइटों के द्वारा जुड़ा है।
खोर्धा रोड रेलवे स्टेशन देश के अनेक शहरों से जुड़ा है। कोलकाता, गुवाहाटी, दिल्ली, चेन्नई, हैदराबाद, मुंबई, बंगलुरू, त्रिवेन्द्रम और अन्य बहुत से शहरों से यहां के लिए ट्रेनें हैं।
खोर्धा भुवनेश्वर से सड़क मार्ग द्वारा जुड़ा है, और राष्ट्रीय राजमार्ग 16 इसे कोलकाता और चेन्नई से जोड़ता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 57 भी यहाँ से गुज़रता है। अनेक शहरों से यहां के लिए नियमित बसें भी चलती रहती हैं।