गज़ल | |
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चित्र:गज़ल.jpg गज़ल का पोस्टर | |
निर्देशक | वेद-मदन |
लेखक | आग़ाजानी कश्मीरी |
अभिनेता |
सुनील दत्त, मीना कुमारी, रहमान, पृथ्वीराज कपूर |
संगीतकार | मदन मोहन |
प्रदर्शन तिथि |
1964 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
गज़ल 1964 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। इसका निर्देशन वेद-मदन ने किया और इसमें सुनील दत्त, मीना कुमारी, रहमान और पृथ्वीराज कपूर मुख्य भूमिकाओं में हैं। इसमें मदन मोहन का संगीत और साहिर लुधियानवी के गीत हैं। यह फ़िल्म कई फ़िल्मी-गज़ल के लिये प्रसिद्ध है, जैसे कि मोहम्मद रफ़ी का गाया "रंग और नूर की बारात" और लता मंगेशकर का गाया "नग़मा-ओ-शेर की सौगात"।
आगरा में रहने वाला क्रांतिकारी कवि / इंकलाब पत्रिका का संपादक, एजाज़ (सुनील दत्त) नाज़ आरा बेग़म (मीना कुमारी) के गाने सुनने के बाद उनके साथ प्यार में पड़ जाता है। फिर वह अपनी नौकरी खो देता है।
अपनी प्यारी बहन, कौसर आरा बेग़म की मदद से, एजाज़ और नाज़ चुपके से मिलते हैं। यह नाज़ के चचेरे भाई अख़्तर नवाब को अच्छा नहीं लगता है जो उससे शादी करने की योजना बना रहा है। मामले को बदतर बनाने के लिए, उनकी मुलाकात नाज़ के क्रोधित पिता, नवाब बक़र अली खान (पृथ्वीराज कपूर) द्वारा देखी जाती है। वह शुरू में एजाज़ को जाने के लिए कहते हैं और फिर उसे सबक सिखाने का फैसला करते हैं।
सभी गीत साहिर लुधियानवी द्वारा लिखित; सारा संगीत मदन मोहन द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "अदा क़ातिल नज़र बर्के-ए-बला" | आशा भोंसले | 3:18 |
2. | "उनसे नज़रें मिली और हिज़ाब आ गया" | लता मंगेशकर, मीनू पुरषोत्तम | 3:14 |
3. | "मुझे ये फूल ना दे" | मोहम्मद रफ़ी, सुमन कल्याणपुर | 3:12 |
4. | "इश्क़ की गर्म-ए-जज़्बात" | मोहम्मद रफ़ी | 3:16 |
5. | "दिल खुश है आज उनसे मुलाक़ात हो गई" | मोहम्मद रफ़ी | 3:18 |
6. | "नग़मा-ओ-शेर की सौगात" | लता मंगेशकर | 3:00 |
7. | "मेरी महबूब कहीं और मिला कर" | मोहम्मद रफ़ी | 3:44 |
8. | "रंग और नूर की बारात" | मोहम्मद रफ़ी | 6:14 |