गज्वए ज़ातुल क़रद | |||||||
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सेनानायक | |||||||
Salamah ibn al-Akwa | Abdur Rahman Uyanah bin Hisn Al-Fazari | ||||||
शक्ति/क्षमता | |||||||
500-700 Muslims assembled, only 8 sent[1] | 40 horsemen[1] | ||||||
मृत्यु एवं हानि | |||||||
4 killed[1] | 4 killed[1] |
गज्वए ज़ातुल क़रद या ग़ज़वा ए ज़ी क़रद (अंग्रेज़ी: Expedition of Dhu Qarad एक प्रारंभिक इस्लामी अभियान था जो इस्लामिक कैलेंडर के सितंबर, 627AD, 6AH में हुआ था, कुछ विद्वानों का कहना है कि यह 6AH के 12 वें महीने में ख़ैबर की लड़ाई से ठीक पहले हुआ था। मुहम्मद के ग़ज़वा ए बनू लहयान की लड़ाई से मदीना लौटने के कुछ दिनों बाद,अब्दुर रहमान उयानाह बिन हसन अल-फ़ज़ारी के नेतृत्व में घटफ़ान के सशस्त्र लोगों के एक दल ने शहर के बाहरी इलाके में चरागाह पर छापा मारा था।
मदीने के क़रीब "जातुल क़रद" एक चरागाह का नाम है जहाँ हुजूर की ऊंटनियाँ चरती थीं। अब्दुर्रहमान बिन उसैना फज़ारी ने जो कबिला गुतुफान से तअल्लुक रखता था अपने चन्द आदमियों के साथ इस चरागाह पर छापा माराऔर बीस ऊंटनियों को पकड़ कर ले भागे। मशहूर तीर अन्दाज सहाबी सलमह बिन अक्वा से पहले इस की ख़बर मालूम हुई। इन्हों ने इस ख़तरे का एलान करने के लिये बुलन्द आवाज से येह नारा मारा कि "या सबाहा " फिर अकेले ही उन डाकूओं के तआकुब में दौड़ पड़े और उन डाकूओं को तीर मार मार कर तमाम ऊंटनियों को भी छीन लिया और वो भागते हुए जो तीस चादरें फेंकते गए थे उन चादरों पर भी कब्जा 'कर लिया। इस के बाद मुहम्मद लश्कर ले कर पहुंचे। हजरत सलमह बिन अक्वा ने अर्ज किया कि या रसूलल्लाह मैं ने उन छापामारों को अभी तक पानी नहीं पीने दिया है। यह सब प्यासे हैं। इन लोगों के तआकुल में लश्कर भेज दीजिये तो यह सब गरिफ्तार हो जाएंगे आप ने इरशाद फ़रमाया कि तुम अपनी ऊंटनियों के मालिक हो चुके हो। अब उन लोगों के साथ नमीं का बरताव करो। फिर हुजूर ने हजरते सलमह बिन अक्वा को अपने ऊंट के पीछे बिठा लिया और मदीने वापस तशरीफ़ लाए।[2]
मुहम्मद ने 500-700 लड़ाके एकत्र किए, लेकिन 8 घुड़सवारों को भेजकर पीछा किया। केवल 40 दुश्मन घुड़सवार शामिल थे, और लूटे गए मुसलमानों में 20 दूध देने वाले ऊंट थे। आधे ऊंट बरामद कर लिए गए, और ऐसा करते हुए, मुसलमानों ने हमलावरों में से 4 को मार डाला, जबकि उनके अपने आदमियों का वही नुकसान हुआ। [1][3]
अरबी शब्द ग़ज़वा [4] इस्लाम के पैग़ंबर के उन अभियानों को कहते हैं जिन मुहिम या लड़ाईयों में उन्होंने शरीक होकर नेतृत्व किया,इसका बहुवचन है गज़वात, जिन मुहिम में किसी सहाबा को ज़िम्मेदार बनाकर भेजा और स्वयं नेतृत्व करते रहे उन अभियानों को सरियाह(सरिय्या) या सिरया कहते हैं, इसका बहुवचन सराया है।[5] [6]
Then there was the raid on Muhammad's private herd of camels by 'Uyaynah b. Hisn al-Fazari, who was doubtless annoyed because Muhammad had broken off negotiations with him over the withdrawal of Ghatafan. The raid was a small affair. Only 40 enemy horsemen were involved, and the booty was only 20 milking camels; 8 Muslims pursued on horseback, recovered half the camels, and killed 4 of the raiders for the loss of i of their own number.(free online)
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(मदद)