गान्धारी उत्तर-पश्चिमी प्राकृत भाषा थी जो गांधार में बोली जाती थी। इस भाषा को खरोष्ठी लिपि में लिखा जाता था। इस भाषा में अनेक बौद्ध ग्रन्थ उपलब्ध हैं। अन्य प्राकृत भाषाओं की तरह गान्धारी भाषा भी वैदिक संस्कृत से उत्पन्न हुई है या इसके किसी अत्यन्त निकटवर्ती भाषा से।
सन् १९९४ तक गान्धारी लिपि में केवल एक पाण्डुलिपि उपलब्ध थी। यह १८९३ ई में झिन जियांग के निकट स्थित कोहमारी मजार से प्राप्त हुई थी। यह भोजपत्र पर अंकित 'धम्मपद' थी। किन्तु १९९४ के बाद से लगभग ७७ पाण्डुलिपियाँ प्राप्त हुईं हैं जो अफगानिस्तान एवं पश्चिमी पाकिस्तान से प्राप्त हुईं हैं। ये सब टुकड़ों-टुकड़ों में बौद्ध ग्रन्थ हैं।
गान्धारी धम्मपद (२१५) | पालि धम्मपद (३११) | संस्कृत उदान वर्ग (11.4) |
अनूदित चीनी धम्मपद |
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śaru yadha drugahido hasta aṇuvikatadi |
kuso yathā duggahito hattham evānukantati |
śaro yathā durgr̥hīto hastam evāpakr̥ntati |
譬如抜菅草 執緩則傷手 学戒不禁制 獄録乃自賊。 |
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