भारत सरकार द्वारा अंतर्राष्ट्रीय गाँधी शांति पुरस्कार भारत के राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के नाम पर दिया जाने वाला वार्षिक पुरस्कार है। गांधी जी के शांति सिद्धांतों को श्रद्धांजलि स्वरूप, भारत सरकार ने यह पुरस्कार १९९५ में उनके १२५वें जन्म-दिवस पर आरंभ किया था। यह वार्षिक पुरस्कार उन व्यक्तियों या संस्थाओं को दिया जाता है, जिन्होंने सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक बदलावों को अहिंसा एवं अन्य गांधीवादी तरीकों द्वारा प्राप्त किया है। पुरस्कार में १ करोड़ रुपये की धनराशि, प्रशस्तिपत्र और एक उत्तरीय दी जाती है। यह सभी राष्ट्रों, जातियों, लिंग के लोगों के लिए खुला है। प्रथम गाँधी शांति पुरस्कार १९९५ में तंजानिया के प्रथम राष्ट्रपति के जूलियस नायरेरे को प्रदान किया गया था। २००९ में यह पुरस्कार द चिल्ड्रेन्स लीगल सेंटर को दुनिया भर में बाल मानवाधिकार को बढ़ावा देने के लिए दिया गया। | राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने 6 फरवरी, 2020 को कुष्ठ रोग के लिए अंतरराष्ट्रीय गांधी पुरस्कार से सम्मानित किया। यह पुरस्कार व्यक्तिगत श्रेणी में डॉ। एनएस धर्मशक्तु और संस्थागत श्रेणी के तहत कुष्ठ मिशन ट्रस्ट को प्रदान किए गए। |
क्रम | वर्ष | नाम | विवरण |
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१. | १९९५ | जूलियस नायरेरे | तंजानिया के प्रथम राष्ट्रपति |
२. | १९९६ | ए टी अरियारत्ने | सर्वोदय श्रमदान आंदोलन के संस्थापक |
३. | १९९७[1] | गेर्हार्ड फिशर[2] | कोढ़ एवं पोलियो पर इनके शोध के ल्लिए प्रसिद्ध |
४. | १९९८ | रामकृष्ण मिशन | स्वामी विवेकानंद द्वारा स्थापित |
५. | १९९९[3] | बाबा आम्टे | समाज सेवक |
६. | २००० | नेल्सन मंडेला (सह-प्राप्तकर्ता) | दक्षिण अफ़्रीका के राष्ट्रपति (भूतपूर्व) |
७. | २००० | ग्रामीण बैंक (सह-प्राप्तकर्ता) | मुहम्मद यूनुस द्वारा स्थापित |
८. | २००१[4] | जॉन ह्यूम | उत्तरी आयरिश राजनीतिज्ञ |
९. | २००२ | भारतीय विद्या भवन | |
१०. | २००३ | वैक्लेव हैवेल | चेकोस्लोवाकिया के अंतिम और चेक गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति |
११. | २००४ | कोरेट्टा स्कॉट किंग | मार्टिन लूथर किंग की विधवा |
१२. | २००५[5] | डेस्मंड टूटू | दक्षिण अफ़्रीका के क्लेरिक एवं सक्रिय |
१२. | २०१३ [6] | चंडीप्रसाद भट्ट | पर्यावरणवादी और समाजिक कार्यकर्ता |
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(मदद)[मृत कड़ियाँ]