गुरला मन्धाता | |
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उच्चतम बिंदु | |
ऊँचाई | 7,694 मी॰ (25,243 फीट) विश्व का ३४वाँ सबसे ऊँचा पहाड़ |
उदग्रता | 2,788 मी॰ (9,147 फीट) |
सूचीयन | अति-उल्लेखनीय शिखर |
निर्देशांक | 30°26′09″N 81°17′45″E / 30.43583°N 81.29583°Eनिर्देशांक: 30°26′09″N 81°17′45″E / 30.43583°N 81.29583°E [1] |
भूगोल | |
स्थान | तिब्बत (जनवादी गणतंत्र चीन) |
मातृ श्रेणी | नालाकंकर हिमाल, हिमालय |
आरोहण | |
प्रथम आरोहण | १९८५ में एक जापानी-चीनी पर्वतारोही दस्ते द्वारा |
सरलतम मार्ग | पश्चिमी छोर से बर्फ़ पर चढ़ाई |
गुरला मन्धाता (Gurla Mandhata) तिब्बत में मानसरोवर झील के पास स्थित हिमालय का एक पर्वत है। यदि कैलाश पर्वत मानसरोवर के एक ओर खड़ा है तो गुरला मन्धाता झील के पार दूसरी तरफ़ स्थित है। यह हिमालय की नालाकंकर हिमाल श्रेणी का सदस्य है जो दक्षिणी तिब्बत और पश्चिमोत्तरी नेपाल में विस्तृत है। गुरला मन्धाता को तिब्बती भाषा में नाइमोनान्यी (Naimona'nyi) कहते हैं। तिब्बत पर चीन का क़ब्ज़ा होने के बाद वहाँ की सरकार इसे चीनी लहजे में मेमो नानी (納木那尼峰, Memo Nani) बुलाती है। प्रशासनिक रूप से यह तिब्बत स्वशासित प्रदेश के न्गारी विभाग के पुरंग ज़िले में स्थित है।
मन्धाता प्राचीन भारत में सुर्य राजवंश का एक राजा था जिसने कथानुसार इन्द्र को परास्त करके अमरावती पर विजय की थी।[2] इस विजय को यादगार बनाने के लिये मानसरोवर के किनारे खड़े इस पर्वत का नाम 'मन्धाता' रखा गया। 'गुरला' यहाँ पास में स्थित एक पहाड़ी दर्रे का नाम था जो पर्वत के नाम के साथ जुड़ गया।[3]
पर्वत का तिब्बती नाम 'नाइमोनान्यी' है, जिसे तीन तिब्बती शब्दों को जोड़कर गढ़ा गया है: 'नाइमो' (यानि औषधी) + 'ना' (यानि काला) + 'न्यी' (यानि सिल्लियों का ढेर)। इसलिये 'नाइमोनान्यी' का मतलब 'काली औषधी की सिल्लियों का ढेर' निकलता है।[4]
सन् १९०५ में ब्रिटिश चिकित्सक व पर्वतारोही टॉम जॉर्ज लॉन्गस्टाफ़ ने स्थानीय गाइडों के साथ गुरला मन्धाता पर चढ़ने की कोशिश करी लेकिन हिमप्रपात (ऐवालान्च) और अन्य कठिनाईयों के कारण उन्हें ७,००० मीटर (२३,००० फ़ुट) की ऊँचाई से मुड़ना पड़ा। उनका प्रयास विफल रहा लेकिन उस ज़माने में कोई भी ७,००० फ़ुट तक नहीं पहुँचा था इसलिये उन्होने उस समय का सबसे ऊँचा चढ़ने का विश्व रिकॉर्ड स्थापित कर दिया।[5] मई १९८५ में कात्सुतोशी हीराबायाशी के नेतृत्व में एक मिश्रित चीनी-जापानी दस्ता सफलतापूर्वक इसके शिखर तक पहुँचने वाला पहला पर्वतारोही गुट बन गया।[4] तब से २०१२ तक चढ़ने के छ्ह सफल और दो विफल प्रयास हो चुके हैं। १९९७ में क्विन साइमन्ज़, सोरेन पीटर्ज़ और चारली फ़ाउलर ने पर्वत को उत्तरी मुख से चढ़ने की कोशिश करी जो पहली कभी नहीं किया गया था। तूफ़ान और अन्य कठिनाईयों से उन्हें उतरना पड़ा लेकिन एक स्थान पर यह दस्ता ४५० मीटर (१,५०० फ़ुट) गिरा। फ़ाउलर को ज़रा चोट आई जबकि शीतदंश (फ़्रॉस्टबाइट) से साइमन्ज़ और पीटर्ज़ के हाथ-पाँवों को हानि पहुँची।[6]
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का गलत प्रयोग; peaklist
नाम के संदर्भ में जानकारी नहीं है।