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गोरखपुर भारत में उत्तर प्रदेश प्रान्त का एक मंडल है। इसमें देवरिया, गोरखपुर, कुशीनगर, महराजगंज जिले आते हैं।
गोरखपुर मंडल के यह चारों जिले ऐतिहासिक हैं, कुशीनगर जिले का अपने अत्यंत प्राचीन इतिहास के साथ कुशीनगर का अलग ही महत्व है। हिमालय की तराई वाले क्षेत्र में स्थित कुशीनगर का इतिहास अत्यंत ही प्राचीन व गौरवशाली है। वर्ष 1876 ई0 में अंग्रेज पुरातत्वविद ए. कनिंघम ने कुशीनगर की खोज की थी। उस समय खुदाई में छठी शताब्दी की बनी भगवान बुद्ध की लेटी हुई प्रतिमा मिली थी इसके अलावा रामाभार स्तूप और और माथाकुंवर मंदिर भी खोजे गए थे। वाल्मीकि रामायण में उल्लेख मिलता है कि यह स्थान त्रेता युग में भी आबाद था और यहां मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम के पुत्र कुश की राजधानी थी जिसके चलते इसे कुशावती के नाम से जाना गया। छठी शताब्दी की शुरूआत में यहां भगवान बुद्ध का आगमन हुआ था। कुशीनगर में ही उन्होंने अपना अंतिम उपदेश देने के बाद महापरिनिर्वाण को प्राप्त किया था।
वही बात करे देवरिया जिले की तो देवरिया जनपद 16 मार्च 1946 को गोरखपुर जनपद का कुछ पूर्व-दक्षिण भाग लेकर बनाया गया. ऐसा माना जाता है की देवरिया नाम, ‘देवारण्य’ या शायद ‘देवपुरिया’ से उत्तपन्न हुआ . आधिकारिक राजपत्रों के मुताबिक, जनपद का नाम ‘देवरिया’ इसके मुख्यालय के नाम से लिया गया है और ‘देवरिया’ शब्द का मतलब आमतौर पर एक ऐसा स्थान, जहां मंदिर हैं . नाम ‘देवरिया’ एक जीवाश्म (टूटी हुई) शिव मंदिर द्वारा अपने उत्तर में ‘कुर्ना नदी’ की ओर से उत्पन्न हुआ।
ऐसे गोरखपुर[1] मंडल के चारो जिले अत्यंत ऐतिहासिक हैं।
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