ग्याला पेरी Gyala Peri | |
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![]() ग्याला पेरी | |
उच्चतम बिंदु | |
ऊँचाई | 7,294 मी॰ (23,930 फीट) |
उदग्रता | 2,942 मी॰ (9,652 फीट) |
एकाकी अवस्थिति | 20 कि॰मी॰ (66,000 फीट) ![]() |
सूचीयन | अति-उल्लेखनीय शिखर |
निर्देशांक | 29°48′51″N 94°58′06″E / 29.81417°N 94.96833°Eनिर्देशांक: 29°48′51″N 94°58′06″E / 29.81417°N 94.96833°E [1] |
भूगोल | |
स्थान | मेदोग ज़िला, न्यिंगची विभाग, तिब्बत |
मातृ श्रेणी | न्येनचेन थंगल्हा शृंखला (पारहिमालय) |
आरोहण | |
प्रथम आरोहण | ३१ अक्टूबर १९८६ को, एक जापानी पर्वतारोही दस्ते द्वारा |
सरलतम मार्ग | पत्थर और बर्फ़ की चढ़ाई |
ग्याला पेरी (चीनी: 加拉白垒, अंग्रेज़ी: Gyala Peri) दक्षिणी-पूर्वी तिब्बत में यरलुंग त्संगपो महान घाटी के मुख पर स्थित एक पर्वत है। यह पारहिमालय पर्वतमाला और उसकी न्येनचेन थंगल्हा उपशृंखला का सदस्य है। यह नमचा बरवा पर्वत के पास (भारत में ब्रह्मपुत्र नदी कहलाने वाली) यरलुंग त्संगपो नदी के पार खड़ा हुआ है। नमचा बरवा के इतना क़रीब होने के कारण इसे कभी-कभी हिमालय के नमचा बरवा हिमाल का सदस्य भी गिन लिया जाता है हालंकि क़ायदे से यरलुंग त्संगपो के दूसरी पार के पहाड़ पारहिमालय पर्वतमाला के सदस्य समझे जाते हैं।[2]
ग्याला पेरी को सफलतापूर्वक सबसे पहले १९८६ में एक जापानी पर्वतारोही दस्ते ने पहाड़ के उत्तरी मुख से चढ़ा था। उन्होने कुल मिलाकर पर्वत पर डेढ़ महीना गुज़ारा था। ग्याला पेरी पर अन्य कोई सफल अभियान ज्ञात नहीं है।[3][4]
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