घाटमपुर Ghatampur | |
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![]() घाटमपुर रेलस्टेशन | |
निर्देशांक: 26°09′04″N 80°10′08″E / 26.151°N 80.169°Eनिर्देशांक: 26°09′04″N 80°10′08″E / 26.151°N 80.169°E | |
देश | ![]() |
राज्य | उत्तर प्रदेश |
ज़िला | कानपुर नगर ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 40,623 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
घाटमपुर (Ghatampur) भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के कानपुर नगर ज़िले में स्थित एक नगर पालिका है। यह इसी नाम की तहसील का मुख्यालय भी है।[1][2]
माना जाता है कि घाटमपुर की स्थापना राजा घाटमदेव ने की थी। शहर के पूरब में कूष्मांडा देवी का एक प्राचीन मन्दिर है जो हिन्दुओं की श्रद्धा का महान केंद्र है।जो नवरात्रि में चौथी देवी क़े रूप मैं पूजी जाती है, जहां कार्तिक पूर्निमा में हर साल विशाल मेले का अयोजन होता है शहर के दक्षिण में एक ऐतिहासिक बौद्ध मन्दिर है। शहर की पूर्वोत्तर दिशा में १३ किलोमीटर दूर भीतरगांव नामक स्थान पर एक गुप्तकालीन प्राचीन मन्दिर है। 20 किलोमीटर दक्षिण में जिला हमीरपूर स्थित है जिसे पवित्र नदी यमुना ने घाटमपुर से अलग किया है। कानपुर की सबसे बडी तहसील होने का गौरव भी इसे प्राप्त है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार इसकी स्थापना राजा घाटमदेव ने की थी जिस कारण इसका नाम घाटमपुर पड़ा।
सन 1967 के चुनाव में कांग्रेस से बेनी सिंह अवस्थी विधायक चुने गए, जिन्हे खाद्य रसद, स्वायत्त शासन समेत कई विभागों के कैबिनेट की जिम्मेदारी रही। 1980 एवं 85 में चुने गए कुंवर शिवनाथ सिंह विधायक के बाद विधानसभा उपाध्यक्ष और राज्यमंत्री भी बनाए गए। रामआसरे 1977 में जेएनपी से और 1989 में जनता दल से विधायक निर्वाचित हुए। इसके बाद 1996 में राजाराम पाल विधायक चुनने के बाद राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त बने। वहीं 2017 में भाजपा की ओर से कमलारानी वरुण विधायक बनीं। तो वर्तमान यूपी सरकार ने उन्हें मंत्रिमंडल में कैबिनेट मंत्री की जिम्मेदारी दी। बीमारी की चपेट में आने से अकस्मात निधन हो गया। तत्पश्चात उपचुनाव में वर्ष 2020 में भाजपा प्रत्याशी उपेंद्रनाथ पासवान विधायक बने। 2022 में अपना दल से सरोज कुरील ने समाजवादी पार्टी के भगवती सागर को 14474 वोटों के मार्जिन से हराया था।[3]
मां कुष्मांडा देवी मंदिर के कारण प्रत्येक नवरात्रि के चौथे दिन घाटमपुर में होने वाला दीपदान का पर्व दर्शनीय है। साथ ही महाशिवरात्रि के दिन घाटमपुर में आयोजित कार्यक्रम भी आसपास के क्षेत्र में प्रसिद्ध है।
अज्योरी (सजेती) गांव के बिहारेश्वर महादेव मंदिर को दिल्ली सम्राट अकबर के प्रिय मंत्री बीरबल ने बनवाया था।। इतिहासकारों के मुताबिक दिल्ली में औरंगजेब की कैद में रखे गए मराठा सरदार छत्रपति शिवाजी जेल से फरार होने के बाद काफी दिनों तक इसी मंदिर में भेष बदलकर रुके थे। मंदिर कानपुर-सागर राजमार्ग के ठीक किनारे स्थित है। सिधौल गांव में स्थित मार्कण्डेयश्वर महादेव का मंदिर भी काफी प्राचीन है। पतारा के बैजनाथ धाम मंदिर का वर्णन परिमाल रासो (आल्हाखंड) में मिलता है। पतरसा गांव के पातालेश्वर महादेव और नंदना गांव के रामेश्वर महादेव मंदिर में मेला और रात्रि में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए गए हैं।
रिंद नदी के किनारे बसे बरनांव गांव का बाणेश्वर महादेव मंदिर, सिमौर गांव के कालेश्वर और चौबेपुर (नवेड़ी) गांव के भोलेश्वर महादेव मंदिर भी प्राचीन और दर्शनीय हैं। नई तहसील नर्वल का सृजन होने के बाद कई प्राचीन शिवालय घाटमपुर तहसील के राजस्व नक्शे से बाहर हो गए हैं। इनमें पुरातत्व विभाग से संरक्षित रिंद नदी के किनारे बसे करचुलीपुर गांव का औलियाश्वर महादेव मंदिर के अलावा परौली, कोरथा, गोपालपुर और पालपुर गांव के प्राचीन शिवालय शामिल हैं। घाटमपुर से मात्र 12 किमी दूर स्थित चौधरी धरमंगदपुर ग्राम सभा में माँ छौकरा देवी का अति प्राचीन मंदिर है कहा जाता है की माँ छौकरा देवी ( वैभवलक्ष्मी ) महा कवि भूषण के आवाहन पर प्रकट हुई और दर्शन दिए थे बाद में शिवाजी महाराज ने इस मंदिर का निर्माण कराया था | श्री कृष्णा जन्मआष्ट्मी में यहाँ प्रति वर्ष 7 दिवसीय भजन कीर्तन और भंडारे का आयोजन होता है |
यहाँ एक रेलवे स्टेशन भी है। यह कानपुर-मानिकपुर रेलमार्ग पर स्थित है। लखनऊ-भोपाल राजमार्ग भी यहाँ से होकर गुजरता है। राष्ट्रीय राजमार्ग 34 यहाँ से गुज़रता है। घाटमपुर के सबसे निकट चकेरी एयरपोर्ट स्थित है।
भारत की जनगणना 2011 द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, घाटमपुर नगर पालिका परिषद की जनसंख्या 40,623 है, जिसमें 21,334 पुरुष हैं, जबकि 19,289 महिलाएं हैं। घाटमपुर नगर पालिका परिषद की वर्तमान अनुमानित जनसंख्या 2024 में लगभग 55,000 है।[4]
घाटमपुर में 1980 मेगावाट की यह परियोजना नेवेली लिग्नाइट और उत्तर प्रदेश विदयुत उत्पादन निगम लिमिटेड का एक संयुक्त उपक्रम है। इसमें 51 प्रतिशत भागीदारी एनएलसी की होगी जबकि 29 प्रतिशत भागीदारी यूपीआरवीयूएनएल की होगी।इससे पैदा होने वाली बिजली का 80 फीसदी बिजली उत्तर प्रदेश को मिलेगी तथा 20 फीसदी बिजली केन्द्रीय ग्रिड को दी जाएंगी। उन्होंने बताया कि बिजली संयत्र स्थापित हो जाने से उत्तर प्रदेश में बिजली की कमी पूरी तरह से खत्म हो जायेगी और प्रदेश में बिजली की समस्या का हल निकल आएगा।
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