चमक, चमकीलापन या रोशनपन दृश्य बोध का एक पहलु है जिसमें प्रकाश किसी स्रोत से उभरता हुआ या प्रतिबिंबित होता हुआ लगता है। दुसरे शब्दों में चमक वह बोध है जो किसी देखी गई वस्तु की प्रकाश प्रबलता से होता है। चमक कोई कड़े तरीके से माप सकने वाली चीज़ नहीं है और अधिकतर व्यक्तिगत बोध के बारे में ही प्रयोग होती है। चमक के माप के लिए प्रकाश प्रबलता जैसी अवधारणाओं का प्रयोग होता है।[1]
अंग्रेज़ी में "चमक" को "ब्राईटनॅस" (brightness) कहते हैं।
कोई चीज़ कितनी चमकीली है वह बाक़ी के वातावरण पर भी निर्भर करता है। खगोलशास्त्र में तारों की सापेक्ष कांतिमान और निरपेक्ष कांतिमान को मापा जाता है, लेकिन यह माप अनुमानित ही होता है।