चीनी जनवादी गणराज्य | |||
---|---|---|---|
चीनी शताब्दी (सरलीकृत चीनी: 中国世纪; पारम्परिक चीनी: 中國世紀) एक नवगढ़न्त शब्द है जिसका अर्थ है की २१वीं सदी पर चीन का प्रभुत्व रहेगा ठीक वैसे ही जैसे २०वीं सदी को प्रायः अमेरिकी शताब्दी और १९वीं सदी को ब्रिटिश शताब्दी कह दिया जाता है। यह मुख्य रूप से यह बतलाने के लिए प्रयुक्त किया जाता है की चीन की अर्थव्यवस्था १८३० के पूर्व वाली स्थिति में आ जाएगी जब चीनी अर्थव्यस्था का विश्व अर्थव्यस्था पर प्रभुत्व था और अनुमानित है की चीनी अर्थव्यवस्था आने वाले कुछ दशकों में अमेरिकी अर्थव्यवस्था को पछाड़ कर विश्व की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी।[1][2][3]
चीन के महाशक्ति के रूप में उदय की १९७० के दशक से भविष्यवाणियाँ की जाती रहीं हैं। १९८५ में ही साम्यवादी दल के प्रमुख हू याओबांग ने कहा था की चीन २०४९ से पहले ही महाशक्ति बनने की योजना बना रहा है।
ग्लोबल लैंविज मॉनिटर के अनुसार, चीन का उदय २००० के दशक का सर्वाधिक पढ़ा जाने वाला समाचार था।[4]
पिछले ३० वर्षों से चीन की अर्थव्यवस्था १०% से भी अधिक तेज़ी से बढ़ रही है। क्रय शक्ति के आधार पर चीन का सकल घरेलू उत्पाद, अमेरिका के बाद दूसरे और संज्ञात्मक सकल घरेलू उपाद आधार पर भी, संराअमेरिका के बाद दूसरे[6] स्थान पर है। २००७ में चीन ने जर्मनी की अर्थव्यवस्था को पीछे छोड़ा और २०१० में जापानी अर्थव्यवस्था भी चीनी अर्थव्यवस्था से पीछे गई[7] और अन्ततः २०२७ तक अमेरिकी अर्थव्यवस्था के भी चीनी अर्थव्यवस्था से छोटे होने का अनुमान है। चीन, जर्मनी को पछाड़ते हुए, अब विश्व का सबसे बड़ा निर्यातक है और संराअमेरिका को पछाड़ते हुए विश्व का सबसे बड़ा वाहन बाज़ार है। इसका विदेशी मुद्रा भण्डार, जो विश्व में सबसे अधिक है, २,२०० अरब $ है।
रॉबर्ट फ़ॉजेल, जो अर्थशास्त्र में एक नोबल पुरस्कार विजेता हैं, के अनुसार २०४० तक चीनी अर्थव्यवस्था का आकार १२३ खरब $ होगा और यह विश्व के सकल उत्पाद का ४०% होगा - जो संराअमेरिकी जीडीपी (१४%) और यूरोपीय संघ की जीडीपी (५%) से कहीं अधिक होगा। चीन की प्रति व्यक्ति आय भी ८५,००० $ होगी, जो यूरोपीय संघ के लिए पूर्वानुमानित से दोगुनी से भी अधिक है।
चीन के पास विश्व की सबसे बड़ी पदवीबल (सक्रिय) सेना और रक्षा बजट दूसरा सर्वाधिक है। चीन, सैन्य प्रौद्योगिकी और नवोन्मेष (इनोवेशन) के मामले में भी एक उभरती महाशक्ति है।
यह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थाई सदस्य और मान्यता प्राप्त परमाणु शक्ति सम्पन्न देश है।
चीन, संराअमेरिका को पछाड़ते हुए विश्व का शीर्ष प्रौद्योगिकी निर्यातक बन गया। चीन वर्तमान में विश्व का तीसरा सबसे बड़ा अन्वेषक है और २०१२ तक विश्व अन्वेषण का नेतृत्व करने के लिए तैयार है। चीन प्रौद्योगिकीय पदवीबल में भी, विश्वव्यापी प्रौद्योगिकीय प्रतियोगितात्मकता में संराअमेरिका को पछाड़ते हुए विश्व में शीर्ष पर है। हरित प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में भी चीन को विश्व में शीर्ष पर माना जाता है। इन करणो के चलते चीन की प्रौद्योगिकी महाशक्ति बनने की भी भविष्यवाणी कि गई है।
चीन की प्रमुख भाषा और राष्ट्र भाषा चीनी मन्दारिन एक अन्तर्राष्ट्रीय भाषा बनने के लिए भी तैयार है। यह भाषा संयुक्त राष्ट्र की छः आधिकारिक भाषाओं में से एक है। यह विश्व की सर्वाधिक बोली जाने वाली भाषा भी है। चीन के अन्तर्राष्ट्रीय मामलों में बढ़ते हुए महत्व को देखते हुए यह कहा जा सकता है कि चीनी मन्दारिन भाषा विश्व कि एक प्रमुख अन्तर्राष्ट्रीय भाषा बन जाएगी।[8] इस भाषा के बढ़ते हुए महत्व को देखेते हुए ही बहुत से अमेरिकी और ब्रिटिश विद्यालयों, महाविद्यालयों इत्यादि में इस भाषा को सीखने वालों की संख्या बढ़ रही है।[9] वर्तमान में चीनी मन्दारिन संजाल पर दूसरी सर्वाधिक प्रयुक्त होने वाली भाषा है[10] जिसके निकट भविष्य में प्रथम पर आने कि भी पूरी सम्भावना है।