चुम्बक-प्रवाहिकीय अवमन्दक (magnetorheological damper या magnetorheological shock absorber) ऐसे अवमन्दकों को कहते हैं जिनके कार्य करने का आधार चुम्बक-प्रवाहिकीय द्रव होता है जिसकी श्यानता को चुम्बकीय क्षेत्र द्वारा नियंत्रित (कम-अधिक) किया जाता है। [1][2][3]जब चुम्ब्कीय क्षेत्र अधिक होता है तो चुम्बकीय-प्रवाहिकीय द्रव की श्यानता अधिक होती है और जब चुम्बकीय क्षेत्र कम होता है तब श्यानता कम होती है। इस सिद्धान्त पर कार्य करने वाले प्रघात अवशोषक विशेष उपयोगी हैं क्योंकि इनकी मन्दक-क्षमता को परिस्थिति के अनुसार कम या अधिक किया जा सकता है। चुम्बकीय क्षेत्र को नियंत्रित करने के लिये उस चुम्बकीय क्षेत्र को उत्पन्न करने वाली कुण्डली में प्रवाहित धारा को घटाया-बढ़ाया जाता है। जिस वाहन में ऐसे ऐसे प्रघात अवशोषक लगे हों, वह वाहन मार्ग की स्थिति के अनुसार झटके को कम-अधिक करने की क्षमता रखते हैं। विशेष बात यह है कि यह सब कुछ स्वतःनियंत्रण द्वारा किया जा सकता है और वाहन चालक को कुछ करने की आवशयकता नहीं पड़ती है। [4]