दक्षिण भारत में चोल राजवंश का राज्यकाल (850 ई - 1250 ई) कला एवं स्थापत्य के सतत समृद्धि का युग था। चोल राजाओं ने अपनी विस्तृत विजयों से प्राप्त धन-सम्पदा का उपयोग दीर्घायु प्रस्तर मन्दिरों के निर्माण तथा कांस्य की मूर्तियों के निर्माण में किया।