जगत मेहता

जगत मेहता एक प्रबुद्ध समाजकर्मी और सेवानिवृत्त भारतीय विदेश सेवा अधिकारी थे।

17 जुलाई 1922 को प्रख्यात शिक्षाविद् मोहन सिंह मेहता तथा विद्यादेवी के घर जन्मे जगत मेहता की प्रारंभिक शिक्षा विद्या भवन स्कूल में हुई। मेहता की उच्च शिक्षा इलाहाबाद विश्वविद्यालय तथा कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय में हुई। मेहता मार्च 1947 में भारतीय विदेश सेवा में चयनित हुए तथा विदेश नीति आयोजना विभाग के पहले प्रमुख बने।[1]

इससे पूर्व, जगत सिंह मेहता इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राध्यापक तथा भारतीय नौसेना में भी कार्यरत रहे थे। जगत मेहता की 1960 में भारत चीन सीमा-विवाद सुलझाने, 1975 में युगाण्डा से निकाले गये भारतीयों के मुद्दे का निराकरण करने, 1976 में पाकिस्तान के साथ सामान्य संबंधों की बहाली, भारत पाकिस्तान के मध्य 1976 में सलाल बांध एवं 1977 में फरक्का बांध विवाद निपटाने तथा नेपाल के साथ 1978 में व्यापारिक रिश्तों संबंधी समझौतों में ऐतिहासिक भूमिका रही।

जगत मेहता ने अपने विदेश सेवा काल में 50 से अधिक देशों के साथ भारत के बहुपक्षीय संबंधों पर नेतृत्व किया। कॉमनवैल्थ प्रधानमंत्रियों तथा संयुक्त राष्ट्र संघ के विभिन्न सम्मेलनों व बैठकों में मेहता की उपस्थिति व योगदान भारत की वैदेशिक कूटनीति के इतिहास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।[2]

जगत मेहता 1976 से 1979 के मध्य, देश के विदेश-सचिव रहे। वे टेक्सास विश्वविद्यालय में विजिटिंग प्रोफेसर भी रहे।

जगत सिंह मेहता अपने पिता द्वारा संस्थापित संस्था सेवा मन्दिर से पूरी उम्र जुड़े रहे तथा समाज-कार्यों के माध्यम से इन्होंने उदयपुर के लगभग 400 गांवों के समेकित विकास में प्रमुख भूमिका निभाई। 1985 से 94 तक वे सेवा मन्दिर के अध्यक्ष भी रहे तथा 1993 से 2000 तक उदयपुर की ही एक प्रतिष्ठित शिक्षण संस्था विद्या भवन के अध्यक्ष रहे। 1985 से अंत तक डॉ॰ मोहन सिंह मेहता मेमोरियल ट्रस्ट के प्रन्यासी भी रहे। जगत मेहता उदयपुर स्थित झील संरक्षण समिति के अध्यक्ष भी थे तथा उदयपुर की झीलों के लिये चिंता करते रहे। उनके परिवार में तीन पुत्र विक्रम मेहता, अजय मेहता तथा उदय मेहता एवं एक पुत्री विजया हैं।

विदेश नीति के क्षेत्र में सम्पूर्ण विश्व में विशिष्ट पहचान रखने वाले तथा प्रथम प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू से लेकर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह तक को विदेश नीति के मसलों पर सारगर्भित सलाह देने वाले, पूर्व विदेश सचिव पद्मभूषण जगत मेहता का 6 मार्च 2014 गुरूवार को उदयपुर में निधन हुआ।[3][4][5][6]

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. "Former Foreign Secretary Jagat Singh Mehta dead". द इकोनोमिक टाइम्स. 2014-03-07. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 0013-0389. अभिगमन तिथि 2024-01-16.
  2. "Negotiating for India (Lessons of Diplomacy) by Jagat Mehta | Manohar Parrikar Institute for Defence Studies and Analyses". idsa.in (अंग्रेज़ी में). अभिगमन तिथि 2024-01-16.
  3. "Padma Bhushan honoree, Ex foreign secretary Jagat Singh Mehta dies at 92". उदयपुर टाइम्स. 2014-03-06. अभिगमन तिथि 2024-01-16.
  4. "पद्मभूषण जगत एस. मेहता का निधन". राजस्थान पत्रिका. ७ मार्च २०१४. मूल से 11 मार्च 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ११ मार्च २०१४.
  5. "Jagat Singh Mehta passes away" [जगत सिंह मेहता चल बसे] (अंग्रेज़ी में). द हिन्दू. ७ मार्च २०१४. मूल से 15 जून 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ११ मार्च २०१४.
  6. "विद्याभवन परिवार में शोक, पूर्व विदेश सचिव जगत मेहता का निधन". दैनिक भास्कर. ७ मार्च २०१४. मूल से 11 मार्च 2014 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि ११ मार्च २०१४.

बाहरी कड़ियाँ

[संपादित करें]