अतिबड़ी जगन्नाथ दास ( ओड़िया: ଅତିବଡ଼ି ଜଗନ୍ନାଥ ଦାସ ; c. 1491-1550 ) एक ओड़िया कवि और साहित्यकार थे । वह ओड़िया साहित्य में प्रसिद्ध 'पंचसखा' के 5 महान कवियों में से एक थे। उन्होंने ओडिया भागवत की रचना की। [1] [2] [3] [4] [5]
जगन्नाथ दास का जन्म कौशिकी गोत्र के एक ब्राह्मण परिवार में 1491 में राधाष्टमी को कपिलेश्वरपुर सासन (पुरी के 16 पारम्परिक सासन गांवों में से एक) में हुआ था। उनकी माता का नाम पद्मावती देवी तथा पिता का नाम भगवान दास था।
उनके पिता उत्कल में भागवत के वक्ता थे।भगवान दास की भागवतम की व्याख्या से प्रसन्न होकर उत्कल के तत्कालीन शासक राजा पुरुषोत्तम देव ने उन्हें "पुराण पंडा" की उपाधि दी। जगन्नाथ दास चैतन्य महाप्रभु के समवयस्क थे। एक बार संयोग से कल्प बट में उनकी भेंट हुई थी, जिसके बाद दोनों के बीच आध्यात्मिक सम्बन्ध प्रगाढ़ होता चला गया और आजीवन बना रहा। चैतन्य देव, जगन्नाथ दास के बड़े प्रशंसक थे और उन्हें "अतिबड़ी " कहते थे।
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