जमूरा (جمورا, Jamoora) एक प्रदर्शक-कलाकार होता है जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर भाग (विशेषकर उत्तर भारत और पाकिस्तान) के भांड, तमाशा और नौटंकी जैसी लोक-नाटक शैलियों में एक सहायक का काम करता है।[1] जमूरे के साथ उसका मालिक होता है, जिसे अक्सर उस्ताद या मदारी कहते हैं। वैसे तो जमूरे का काम अपने उस्ताद के हर हुक्म का पालन करना होता है, लेकिन इसमें अक्सर वह कुछ ऐसी ग़लतियाँ या हरकतें करता है जिस से देखने वालों के लिए व्यंग्य या तंज़ पैदा होता है।[2] उस्ताद-जमूरे के तमाशे को अन्य नामों से भी जाना जाता है, जैसे की मदारी-जमूरा, उस्ताद-बच्चा और मदारी-चेला।[2]
क्योंकि जमूरे का काम अपने उस्ताद की बाते बिना टाले मानना होता है इसलिए भारत और पाकिस्तान की लोक-संस्कृति में अगर कोई आदमी या संस्थान किसी अन्य व्यक्ति के आदेश चुपचाप मान रही हो तो उसे तिरस्कार-पूर्वक ढंग से जमूरा कह दिया जाता है। मसलन कुछ समीक्षकों के हिसाब से संयुक्त राष्ट्र कहने को तो पूरी मानव जाति और सभी देशों के हित में काम करने वाला एक संस्थान है लेकिन वास्तव में यह 'बड़ी ताक़तों का बच्चा जमूरा है'।[3]