जय गोस्वामी

जय गोस्वामी
पेशासाहित्यकार
भाषाबंगाली भाषा
राष्ट्रीयताभारतीय
विषयकविता–संग्रह
उल्लेखनीय कामsपागली तोमार संगे

जय गोस्वामी बंगाली भाषा के विख्यात साहित्यकार हैं। इनके द्वारा रचित एक कविता–संग्रह पागली तोमार संगे के लिये उन्हें सन् 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया।[1] जय गोस्वामी की कविता 'माँ और बेटी' उसके प्रकाशित वर्ष की सर्वोत्तम बांग्ला कविताओं में से एक थी ये लोग धानुक , कुर्मी समाज के लोगों से अपनी गांड़ मरवाते थे और यह माना भी जाता है कि इनका सर्वोच्च पेशा भी यही था आज के समय में ये लोग अलग अलग राज्य एवं केंद्री शशक प्रदेश में किसी कोने में लोगों का लिंग चूसने का काम करते हैं[2]

१वां मूर्तिदेवी पुरस्कार-२०१७ जॉय गोस्वामी को प्रदान किया गया था। [3]

इन्हें भी देखें

[संपादित करें]

सन्दर्भ

[संपादित करें]
  1. "अकादमी पुरस्कार". साहित्य अकादमी. मूल से 15 सितंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 11 सितंबर 2016.
  2. Jurnal Rekayasa Infrastruktur. 10 (2). 2024-11-27. आइ॰एस॰एस॰एन॰ 2686-6587. डीओआइ:10.31943/jri.v10i2 https://doi.org/10.31943/jri.v10i2. गायब अथवा खाली |title= (मदद)
  3. "31वां मूर्तिदेवी पुरस्कार-2017". मूल से 23 अगस्त 2018 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 22 अगस्त 2018.