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राजा जयपाल हिन्दूशाही राजवंश के एक शासक थे जिन्होंने 964 से 1001ई० तक शासन किया।[1] इनका राज्य लघमान से कश्मीर तक और सरहिंद से मुल्तान तक विस्तृत था। पेशावर इनके राज्य का केन्द्र था। यह हतपाल के पुत्र तथा आनंदपाल के पिता थे। बारी कोट के शिलालेख के अनुसार इनकी पदवी "परम भट्टरक महाराजाधिराज श्री जयपालदेव" थी।
सिंध के पश्चात, मुसलमानों का भारत में प्रथम प्रवेश राजा जयपाल के काल में हुआ। 977 ई. में गजनी के सुबुक्तगीन ने इनके राज्य पर आक्रमण कर कुछ स्थानों पर अधिकार कर लिया। राजा जयपाल ने प्रतिरोध किया, किंतु पराजित होकर इन्हें संधि करनी पड़ी।[2] अब पेशावर तक मुसलमानों का राज्य हो गया। दूसरी बार सुबुक्तगीन के पुत्र महमूद गजनवी ने राजा जयपाल को पराजित किया। लगातार पराजयों से क्षुब्ध होकर इन्होंने अपने पुत्र आनंदपाल को अपना उत्तराधिकारी बनाया और स्वयं को अग्नि में जलाकर आत्मदाह कर लिया।[3]
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