जयशक्ति | |
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शासनावधि | ल. 831-845 CE |
पूर्ववर्ती | वाक्पति |
उत्तरवर्ती | विजयशक्ति |
राजवंश | चन्देल |
जयशक्ति 9वीं सदी ई. में एक चंदेल राजा था। चंदेल अभिलेखों में पूर्ववर्ती शासक वाक्पति के पुत्र जयशक्ति और विजयशक्ति का उल्लेख आता है।[1] वह स्वतंत्र शासक नहीं था किंतु उस काल की राजनीतिक अव्यवस्था का लाभ उठाकर इसने अपनी शक्ति को दृढ़ किया।[2] प्राय: विद्वान् इसे प्रतिहारों का सामंत बतलाते हैं। अभिलेखों में कभी कभी चंदेल राजाओं की तालिका जयशक्ति के नाम से ही प्रारंभ होती है। कदाचित् उसी के समय में पहली बार वर्तमान खजुराहो के समीप की भूमि एक पृथक् भुक्ति के रूप में संगठित हुई और जयशक्ति के नाम पर ही वह 'जेजाक भुक्ति' कहलाई।[उद्धरण चाहिए] उसने अपनी पुत्री नट्टा का विवाह कलचुरि नरेश कोक्कल्ल प्रथम के साथ किया था जो संभवत: उसकी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं से प्रेरित था।[उद्धरण चाहिए]
अभिलेखों में उसके नाम के साथ उसके छोटे भाई विजयशक्ति का नाम भी संबद्ध रहता था जो बाद में सिंहासन का अधिकारी हुआ।[2]
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