जसपुर Jaspur | |
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निर्देशांक: 29°16′59″N 78°48′58″E / 29.283°N 78.816°Eनिर्देशांक: 29°16′59″N 78°48′58″E / 29.283°N 78.816°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | उत्तराखण्ड |
ज़िला | उधमसिंहनगर ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 50,523 |
भाषा | |
• प्रचलित | हिन्दी, कुमाऊँनी, पंजाबी |
समय मण्डल | भामस (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 244712 |
जसपुर (Jaspur) भारत के उत्तराखण्ड राज्य के कुमाऊँ मण्डल के उधमसिंहनगर ज़िले में स्थित एक नगर और नगरपालिका बोर्ड है।[1][2]
यहां पर घना वन क्षेत्र होने तथा राज्य की सीमा के पास होने के कारण से चन्द्र वंश की छावनी यहीं पर स्थापित थी। कहा जाता है कि जसपुर की स्थापना चन्द्र वशं के सुप्रसिद्ध सेनापति यशोधर सिंह अधिकारी द्वारा की गयी थी। जिसका नाम यशपुर था कालान्तर में अपभ्रन्श होकर जसपुर हो गया। मैदानी क्षेत्र में होने के बावजूद यह कस्बा रेल लाइन से नहीं जुड़ा है। पं बद्रीदत्त पाण्डे के अनुसार "जसपुर को, कहते हैं कि कुमाऊँ के राज्य मंत्री यशोधर जोशी जी ने बसाया था। यह एक छोटा-सा नगर है। काशीपुर से साढ़े आठ मील दूर है। सन् १८५६ में यहां पर टाउन एक्ट लगाया गया था। यहां कपड़ा बनता है। छपाई का काम भी अच्छा होता है। अकबर के जमाने में इसका नाम शहजगीर था।" नगरनिकाय परिषद जसपुर के अनुसार १८ नवम्बर १८५९ को टाउन एरिया कमेटी जसपुर का गठन किया गया था जबकि पं0 बद्रीदत्त पाण्डे के अनुसार यहां सन् १८५६ में टाउन एक्ट लागू हुआ। २१ सितम्बर १९६२ को इस नगर निकाय को नोटीफाइड एरिया कमेटी में परिवर्तित कर दिनांक ३ अक्टूबर १९६८ से चतुर्थ श्रेणी की नगरपालिका का स्तर प्रदान किया गया।
२००१ की भारत की जनगणना के अनुसार, जसपुर की जनसंख्या ३९,०४८ है, जिसमें पुरुष ५३% और महिलाएँ ४७% हैं। यहाँ की साक्षरता दर ६०% है जो राष्ट्रीय औसत के बराबर ही है, जिसमें पुरुष साक्षरता ६७% और महिला साक्षरता ५२% है। जसपुर की १७% जनसंख्या ६ वर्ष से कम आयुवर्ग की है। यहाँ की प्रमुख भाषा हिन्दी है लेकिन लोग उर्दू और पंजाबी भी समझते हैं।
जसपुर के अंक्षाश पर स्थित है।[3] इसकी समुद्रतल से ऊँचाई २२० मीटर है। यह एक छोटा नगर या कस्बा है और जिम कॉर्बेट राष्ट्रीय उद्यान, रामनगर से ४५ किमी की दूरी पर है और राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से २२० किमी उत्तरपूर्व में है। नैनीताल की दूरी यहाँ से ११० किमी है। यह उत्तराखण्ड का सीमांत कस्बा है।
यहाँ की बहुसंख्य जनसंख्या हिन्दू है, लेकिन मुसलमान और सिख भी यहाँ रहते हैं। यह नगर धार्मिक सदभाव का एक उदाहरण है और यहाँ पर कभी भी साम्प्रदायिक वैमनस्य नहीं देखा गया है। सभी धर्मों के लोग अन्यों के पर्वों में भागीदारी करते हैं, जैसे हिन्दूओं को रोज़ा-इफ़्तार की दावत में आमन्त्रित किया जाता है और मुसलमान भी हिन्दू पर्व होली में बढ़चढ़ कर भाग लेते हैं।
जसपुर का उद्भव एक ग्राम से कस्बे के रूप में हुआ है। यहाँ पर कुछ पारम्परिक लकड़ी मण्डी और कुछ कृषि-आधारित प्रक्रमण उद्योग हैं। यद्यपि कस्बे के बहुत से लोग स्वरोज़गार युक्त हैं, लेकिन यहाँ की अर्थव्यस्था मुख्यतः कृषि आधारित है क्योंकि यहाँ बड़ी औद्योगिक इकाइयाँ नहीं है।
यहाँ पर बहुत से बागान है, विशेषतः आम, अमरूद, कस्टर्ड सेब। यहाँ से होकर जाने वाले आगंतुक इन फलों का आनन्द ले सकते हैं। जिम कॉर्बेट पार्क यहाँ से निकट होने के कारण बहुत से आगंतुक जसपुर से होकर जाते हैं। यहाँ पर विश्व प्रसिद्ध पंचमुखी महादेव का मन्दिर स्थापित है। हिडिम्बा देवी का मन्दिर पास में ही स्थापित है जहां पर विराट मेला लगता है।
शहर के मौ० जटवारा में श्री ठाकुर मन्दिर जसपुर शहर के मध्य में स्थित क्षेत्र का प्रसिद्ध मन्दिर है। इस मन्दिर में हिन्दू धर्म के सभी पर्व अत्यधिक हर्षोल्लास के साथ मनाये जाते हैं। इस मन्दिर के स्थान को होली चौराहा के नाम से भी जाना जाता है।
बडा मन्दिर जसपुर शहर से लगभग १ किमी़ दूर पतरामपुर रोड पर स्थित है। यह मन्दिर इस क्षेत्र का प्राचीन मन्दिर है यह हिन्दू धर्म का मुख्य पर्व दशहरा बड़ी धूम धाम से मनाया जाता है। इस पर्व पर यहां मेला लगता है आसपास क्षेत्र के लोगो की भीड़ यहां एकत्र होती है साथ ही यहां मनोरंजन भी होता है।
जसपुर में विशेषकर लकड़ी का व्यापार बहुत बडे स्तर पर होता है यहां की लकड़ी मंडी समस्त उत्तर भारत में प्रसिद्ध है। यहां प्रायः शाल, सागौन, शीशम, पॉपलर, लिप्टिस आदि कीमती लकड़ी उपलबध हो जाती हैं। लकड़ी का व्यापार विशेषकर मुस्लिम समुदाय के लोग करते हैं। यहाँ कपड़े, सोने चांदी का व्यापार, इलैक्टानिक्स बाजार बहुत प्रचलित हैं।
जसपुर का प्रसिद्ध भोज है कचरी जो (सिंघाड़ा) जल अखरोट से बनाया जाता है और यहाँ के स्थानीय रेस्त्रांओं में परोसा जाता है।
शिक्षा की दृष्टि से जसपुर का महत्वपूर्ण स्थान है, यहां पर 100 राजकीय प्राथमिक विद्यालय, 24 राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय व 14 राजकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय तथा 5 राजकीय इण्टर कालेज अवस्थित हैं। साथ ही महाविद्यालय एवं सी॰बी॰एस॰ई॰ तथा आई॰सी॰एस॰ई॰ द्वारा संचालित अन्य प्रसिद्ध संस्था हैं। विकास स्तर पर खण्ड शिक्षा अधिकारी कार्यालय एवं बी॰आर॰सी॰ स्थापित है, जहां से सभी शैक्षिक गतिविधियां संचालित की जाती हैं।