ज़बरदस्त | |
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ज़बरदस्त का पोस्टर | |
निर्देशक | नासिर हुसैन[1] |
लेखक | सचिन भौमिक |
निर्माता | मुशीर-रियाज़ |
अभिनेता |
संजीव कुमार जयाप्रदा, सनी देओल |
संगीतकार | आर॰ डी॰ बर्मन |
प्रदर्शन तिथियाँ |
21 जून, 1985 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
ज़बरदस्त 1985 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। यह नासिर हुसैन द्वारा निर्देशित और मुशीर-रियाज़ द्वारा निर्मित है। फिल्म में संजीव कुमार, जयाप्रदा, सनी देओल, राजीव कपूर, रति अग्निहोत्री और अमरीश पुरी हैं। यह नासिर हुसैन की अंतिम निर्देशित फिल्म रही।
रतन कुमार (संजीव कुमार) अपनी पत्नी, पुष्पा और बेटे, सुन्दर के साथ मध्यम-वर्गीय जीवन व्यतीत करते हैं। जब उसे बलराम सिंह (अमरीश पुरी) द्वारा अपराध करने के लिए कहा जाता है, तो वह ऐसा करता है। लेकिन वह अपने लिए हीरे से भरा सूटकेस रखने का फैसला करता है। गुस्से में बलराम उसके घर में आग लगा देता है। अपनी पत्नी को मरा हुआ मानते हुए, रतन भाग जाता है। उसे डॉ. सहगल (कुलभूषण खरबंदा) द्वारा बचाया जाता है, जो उसे व्याकुल महारानी मानवती (तनुजा) के महल में ले जाता है। महारानी ने अभी-अभी अपने बेटे और पति को खो दिया है, लेकिन उसे यह बताया जाता है कि सुन्दर उसका बेटा है। सालों बाद, रतन, जो अब खुद को रमेश कहता है, महारानी के लिए काम करने लगता है। जब सुन्दर (सनी देओल) बड़ा होता है, तो महारानी को रमेश के अस्तित्व का पता चलता है। वह पाती है कि वह उसके पति से मिलता जुलता है, और उससे शादी कर लेती है।
कुछ ही समय बाद, पुष्पा (गीता सिद्धार्थ) जिंदा निकलती है। गुस्से में महारानी, रमेश को मारने का प्रयास करती है। लेकिन वह खुद अपने को ही मार लेती है। मरने से पहले वह सुन्दर से अपनी मौत का बदला लेने के लिए कहती है। सुन्दर और पुलिस के प्रकोप से भागते हुए, रमेश को पुलिस द्वारा गिरफ्तार किया गया है। फिर उसे अदालत में पेश किया जाता है और कई साल जेल की सजा सुनाई जाती है। जब वह वापस लौटता है, तो वह बलराम का अंत करने के एकमात्र मकसद के साथ अंडरवर्ल्ड डॉन बन जाता है। वह यह नहीं जानता कि सुन्दर, जो अब खुद को श्याम कहता है उसके लिए तलाश कर रहा है। उसने रवि (राजीव कपूर), रमेश के दूसरे बेटे, से दोस्ती कर ली है। रमेश जब जेल में था, तब रवि पैदा हुआ था। जब बलराम को इसका पता चलता है, तो वह रमेश और उसके पूरे परिवार को खत्म करने के लिए श्याम का उपयोग करने की साजिश करता है।
सभी गीत मजरुह सुल्तानपुरी द्वारा लिखित; सारा संगीत आर॰ डी॰ बर्मन द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "सुनो सितमगर मेरे" | आर॰ डी॰ बर्मन, आशा भोंसले | 5:55 |
2. | "करेगा जमाना क्या" | किशोर कुमार, आशा भोंसले | 4:08 |
3. | "जब चाहा यारा तुमने" | किशोर कुमार | 4:30 |
4. | "भूल हो गई जाने दे" | आशा भोंसले, किशोर कुमार | 4:15 |
5. | "देखों इधर जनाब-ए-मन" | किशोर कुमार | 5:20 |
6. | "ऐसे ना ठुकराओ ऐ सनम" | आशा भोंसले | 4:35 |