ज़ुन्गार (मंगोल: Зүүнгар, कज़ाख़: Жоңғар, अंग्रेज़ी: Dzungar) मंगोल लोगों की ओइरत शाखा की एक उपशाखा का नाम है जिन्होनें १७वीं और १८वीं सदी में अपनी ज़ुन्गार ख़ानत चलाई थी। ऐतिहासिक रूप से वे ओइरत उपजाति के चार प्रमुख क़बीलों में से एक रहे हैं (अन्य तीन तोरग़ुत, दोरबेत और ख़ोशूत हैं)। मंगोल भाषा में 'ज़ुउन्गार' शब्द का मतलब 'बाहिनें हाथ' होता है। आधुनिक युग में ज़ुन्गार लोग मंगोलिया और चीन में रहते हैं और मंगोलिया में उनकी जनसँख्या १५,५२० अनुमानित की गई थी।[1]
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१६वीं सदी में मंगोलिया में उत्तरी युआन राजवंश का काल चल रहा था, जो एक मंगोल राजवंश था और सिंहासन पर तुमेन जसग्तू ख़ान (Tümen Jasagtu Khan) बैठा था। उसने जब अपना साम्राज्य विस्तृत किया तो बहुत से मंगोल और तुन्गुसी क़बीलों ने उसकी अधीनता स्वीकार ली लेकिन कुछ ओइरत उस के विरुद्ध जूझे। इसके बाद १७वीं सदी ईसवी में ख़ल्ख़ा मंगोल क़बीले का अल्तान ख़ान मंगोलों पर अपना शासन जमाना चाहता था और इन ओइरत क़बीलों ने उसकी अधीनता न स्वीकारते हुए उस से लड़ाई की। ख़ल्ख़ा पूर्वी मंगोल होते हैं जबकि ओइरत पश्चिमी मंगोल हैं। आगे चलकर चीन और मंगोलिया पर मान्छु लोगों का अधिकार हुआ तो इन ओइरतों ने मान्छुओं से भी टक्कर ली। ओइरत मंगोलों का यही उपसमुदाय 'ज़ुन्गार' कहलाया। शुरू में तो ज़ुन्गार केवल ओओलेद (Oöled), दोरवोद (Dörvöd) और ख़ोइत (Khoit) क़बीलों का परिसंघ थे, लेकिन आगे चलकर इनमें तोरग़ुत और ख़ोशूत क़बीलों के भी कुछ अंशों को ज़बरदस्ती शामिल कर लिया गया। ज़ुन्गारों में लोकबोलियों के आधार पर यह मान्यता है कि वे चंगेज़ ख़ान के ज़माने में स्तेपी क्षेत्र पर घूमने वाले नायमन लोगों के वंशज हैं, जो एक तुर्की-मंगोल क़बीला हुआ करता था।
ध्यान दें कि 'ख़ोशूत', 'ख़ान' और 'ख़ल्ख़ा' जैसे शब्दों में बिन्दु-वाले 'ख़' अक्षर के उच्चारण बिन्दु-रहित 'ख' से ज़रा भिन्न है। इसका उच्चारण 'ख़राब' और 'ख़रीद' के 'ख़' से मिलता है। यह भी ध्यान दें कि 'तोरग़ुत' में बिन्दु-वाले 'ग़' अक्षर के उच्चारण भी बिन्दु-रहित 'ग' से ज़रा भिन्न है। इसका उच्चारण 'ग़लती' और 'ग़रीब' शब्दों के 'ग़' से मिलता है।