जावेद अहमद ग़ामिदी (जन्म: 18 अप्रैल 1951, इंग्लिश: Javed Ahmad Ghamidi)
पाकिस्तान से निर्वासित मुस्लिम धर्मशास्त्री[1], क़ुरआन के विद्वान, इस्लामी आधुनिकतावादी, शिक्षाविद। अल-मूरद इंस्टीट्यूट ऑफ इस्लामिक साइंसेज के संस्थापक अध्यक्ष हैं।
पाकिस्तान की काउंसिल ऑफ़ इस्लामिक आइडियोलॉजी के कुछ वर्षों तक सदस्य रहे।
जावेद अहमद ने अपने घर में किसी बुज़ुर्ग बनू गामिद के बारे में अच्छी बातें सुनी और उनसे प्रभावित होकर अपने नाम जावेद अहमद में ग़ामिदी भी लिखना शरू किया।
ऊर्दू और इंग्लिश भाषा में लिखते और अपनी बात कहते हैं।
आधुनिक मीडिया में निरन्तर अपने विचार प्रस्तुत कर रहे हैं।
"मीज़ान" और "बुरहान" पुस्तकें पहचान बन गयीं।
आधुनिक मुसलमान उनके विचारों पर सहमती[2]और असहमती देते हैं।
पैग़म्बर मुहम्मद की पत्नी हज़रत आयेशा की विवाह के समय की आयु के विषय पर वर्तमान इस्लामी विद्वानों से अलग विचार हैं।[3]
हिंसक कार्रवाई के परिणामस्वरूप 2010 में पाकिस्तान छोड़ दिया। अमेरिका में बस गये।
पुरस्कार: सितारा-ए-इम्तियाज़
2009 में, पाकिस्तान के तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान, सितार-ए-इम्तियाज़ से सम्मानित किया4 गया
जावेद अहमद ग़ामिदी को 2019 और 2020 के संस्करणों में द मुस्लिम 500 (द वर्ल्ड्स मोस्ट प्रभावशाली मुस्लिम) में नामित किया गया था
जावेद अहमद गामिदी की वेबसाइट
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(मदद)
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(मदद)