जीवन युद्ध | |
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जीवन युद्ध का पोस्टर | |
निर्देशक | पार्थो घोष |
लेखक | रणबीर पुष्प |
निर्माता | पीयूष चक्रवर्ती |
अभिनेता |
मिथुन चक्रवर्ती, अतुल अग्निहोत्री, ममता कुलकर्णी, राखी गुलज़ार, शक्ति कपूर, जयाप्रदा |
संगीतकार | नदीम-श्रवण |
प्रदर्शन तिथि |
4 मार्च 1997 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
जीवन युद्ध 1997 में बनी हिन्दी भाषा की फिल्म है। पार्थो घोष द्वारा निर्देशित इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, राखी, जयाप्रदा, अतुल अग्निहोत्री, ममता कुलकर्णी, शक्ति कपूर, रमी रेड्डी, आलोक नाथ और मोहन जोशी मुख्य कलाकार हैं।
वासुदेव राय अपनी पत्नी और बेटे रोहित (अतुल अग्निहोत्री) के साथ एक छोटे से शहर में रहता है। वासुदेव एक स्कूल के शिक्षक के रूप में काम करता है जो दयालु और उदार गजराज चौधरी द्वारा संचालित होता है। एक दिन, देव प्रकाश (मिथुन चक्रवर्ती) नामक एक ट्रक चालक वासुदेव के शरीर को पास के अस्पताल ले जाता है और चिकित्सक से उसका इलाज करने का अनुरोध करता है। डॉक्टर निर्धारित करता है कि वासुदेव मर चुका है। वो पुलिस को बुलाता है और देव बयान देने के लिये उनके आने का इंतजार करने के लिए कहता है। देव गायब हो जाता है, इस प्रकार उसे वासुदेव की मृत्यु के लिए जिम्मेदार माना जाता है। वासुदेव की पत्नी और बेटे को तबाह कर दिया गया है और रोहित अपने पिता की मौत का बदला लेने के लिए कसम खाता है और शहर छोड़ देता है। उसकी जाँच से उसने ये निष्कर्ष निकाला कि हत्यारा उसके घर के शहर के पास कहीं है। उसे यह पता चला है कि उसके शहर में अब एक नया पुलिस इन-चार्ज, इंस्पेक्टर अजय कुमार आया है। रोहित को संदेह है कि अजय ऐसा नहीं है जैसा बन रहा और उसने पूछताछ करने शुरू किया। जल्द ही वह अजय का खुलासा करता है जो देव ही है। उसपर वासुदेव की हत्या का आरोप लगाया गया लेकिन देव ने अपने को निर्दोष बताया। इसका कोई फायदा नहीं हुआ, क्योंकि कोई भी अब उससे विश्वास नहीं करता है। निराश होकर उसने चौधरी की सुंदर बेटी, काजल (ममता कुलकर्णी) का अपहरण कर लिया। गजराज चौधरी, उसके आदमी और असली अजय कुमार उसका पीछा कर रहे हैं। क्या देव वास्तव में निर्दोष है? यदि हां, तो वासुदेव को किसने मारा?
सभी गीत समीर द्वारा लिखित; सारा संगीत नदीम-श्रवण द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "कमीज मेरी काली" | ईला अरुण, कविता कृष्णमूर्ति | 5:40 |
2. | "राजा कैसे बैठूँ" | साधना सरगम, सुदेश भोंसले | 7:04 |
3. | "शर्म आने लगी" | कविता कृष्णमूर्ति | 5:59 |
4. | "सुन सजना तेरे बिन" | अलका याज्ञनिक, बाबुल सुप्रियो | 5:18 |
5. | "तू है मेरे दिल का" | कविता कृष्णमूर्ति | 5:41 |
6. | "जिंदगी को गुजारने के लिये" | पंकज उधास, अलका याज्ञनिक | 6:31 |