जुगाड़ भारत में उन वस्तुओं या औजारों को कहते हैं जो आसानी से आसपास उपलब्ध सामानों का उपयोग करके बनायी जाती हैं। आम लोगों को ज्ञात सरल विधियों के उपयोग से काम बना लेना भी 'जुगाड़' कहलाता है। अर्थात् मानक विधि से हटकर अलग विधि (किन्तु सरल और सस्ती विधि) से कोई काम किया जाय या कोई सामान बनाया जाय तो उस विधि या सामान को 'जुगाड़' कहते हैं।
जब 'मानक संसाधनों' का अभाव हो या वे बहुत महगें हों तो 'कामचलाऊ ढंग' से कुछ करके काम निकाल लेने को भी जुगाड़ कहते हैं।
भारत के कई भागों में मोटरसायकिल या पम्पिंग सेट इंजन के प्रयोग से बनी सस्ती गाड़ी 'जुगाड़' के नाम से जानी जाती है। इसमें डीजल इंजन का प्रयोग कर एक कामचलाऊ गाड़ी बनाई जाती है, जो गाँव-कस्बों में माल ढोने, सवारियों के आवागमन इत्यादि में प्रयोग की जाती है। सर्वप्रथम इस जुगाड़ गाड़ी को बनाने वाले मुजफ्फरनगर के ग्राम काकड़ा के दो भाई राजकुमार तथा मांगेराम उपाध्याय थे जो सन 1985 में जुगाड़ को रोड पर सार्वजनिक चलाने के जुर्म में मांगेराम उपाध्याय मुजफ्फरनगर शहर कोतवाली में गिरफ्तार होकर जेल भी गए थे उसके बाद सरकारी कागजों में इस गाड़ी का नाम जुगाड़ रख दिया गया।।।।
'जुगाड़' शब्द का प्रयोग हिन्दी के अलावा अन्य भारतीय भाषाओं में भी होता है। भारतीय मूल के विदेशों में बसे लोग भी इस शब्द का खूब प्रयोग करते हैं।