व्यक्तिगत जानकारी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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पूरा नाम | जॉन बेरी हॉब्स | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
उपनाम | द मास्टर | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
बल्लेबाजी की शैली | दाएँ हाथ के | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
गेंदबाजी की शैली | दाहिने हाथ से मध्यम तेज़ | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
भूमिका | सलामी बल्लेबाज | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अंतर्राष्ट्रीय जानकारी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
राष्ट्रीय पक्ष | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
टेस्ट में पदार्पण (कैप 157) | 1 जनवरी 1908 बनाम ऑस्ट्रेलिया | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
अंतिम टेस्ट | 16 अगस्त 1930 बनाम ऑस्ट्रेलिया | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
घरेलू टीम की जानकारी | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
वर्ष | टीम | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
1905–1934 | सरे | |||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
कैरियर के आँकड़े | ||||||||||||||||||||||||||||||||||||||||
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स्रोत : क्रिकेटआर्काइव, 04 अप्रैल 2016 |
सर जॉन बेरी "जैक" हॉब्स (16 दिसम्बर 1882 - 21 दिसंबर 1963, अंग्रेज़ी: John Berry "Jack" Hobbs) अंग्रेज पेशेवर क्रिकेटर थे, जो 1905 से 1934 तक सरे के लिए और 1908 से 1930 तक 61 टेस्ट मैचों में इंग्लैंड के लिए खेले। अपने समय में "मास्टर" के रूप में विख्यात, उन्हें क्रिकेट के इतिहास में महानतम बल्लेबाज में से एक माना जाता है। 61,760 रन और 199 शतक[a] के साथ वो प्रथम श्रेणी क्रिकेट में सबसे ज़्यादा रन और शतक बनाने वाले बल्लेबाज हैं।
1882 में गरीबी में पैदा हुए हॉब्स बचपन से ही क्रिकेट में करियर बनाना चाहते थे। 1905 में सरे के लिये अपने पहले प्रथम श्रेणी मैच में उन्होंने 88 रन बनाए।[2] आने वाले सालों में उन्होंने अपने आप को एक सफल काउंटी बल्लेबाज स्थापित किया। 1908 में इंग्लैंड के लिये टेस्ट क्रिकेट में डेब्यु किया जिसमें उन्होंने पहली पारी में 83 रन बनाए।[2] आगे के वर्षों में मिली-जुले प्रदर्शन के बाद, 1911-12 में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ उन्होंने तीन शतक लगाए। इस प्रदर्शन के बाद उन्हें विश्व का सबसे बड़ा बल्लेबाज माना जाने लगा। 1914 में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत तक वो काउंटी क्रिकेट में बहुत सफल रहें। प्रथम विश्व युद्ध में ब्रिटिश सेना में सेवारत रहने के बाद, 1919 में क्रिकेट की शुरुआत होने पर उन्होंने अपनी प्रतिष्ठा बनाए रखी। पर उनके करियर पर आंत में उपांत्र शोथ-एपेंडिसाइटिस से ग्रस्त होने के कारण खत्म होने का खतरा मंडराने लगा। जिस वजह से वह 1921 में सीज़न के कई मैच नहीं खेल पाए।[2] जब वो लौटे तो वो अधिक सतर्क बल्लेबाज बन गये और खेलने की सुरक्षित शैली का इस्तेमाल करने लगे। इसके बाद वह अपनी सेवानिवृत्ति तक टेस्ट और घरेलू क्रिकेट, दोनों में निरंतर और ज्यादा रन बनाने लगे। इस अवधि में उन्होंने अपनी सबसे प्रशंसित पारियाँ खेली।
सलामी बल्लेबाज के तौर पर उन्होंने कई प्रभावी भागीदारी स्थापित की; सरे के लिये टॉम हेवर्ड और एंड्रयू सैंडहॅम के साथ और इंग्लैंड के लिये विल्फ्रेड रोड्स और हरबर्ट सटक्लिफ के साथ।[2] सटक्लिफ के साथ उनकी भागीदारी टेस्ट इतिहास में, पहले विकेट के लिए 2016 में औसत के मामले में, सबसे प्रभावी बनी हुई है।[3] समकालीन लोग हॉब्स को अत्यंत ऊँचा दर्जा देते थे, और क्रिकेट समीक्षक अभी तक उन्हें सबसे अच्छे बल्लेबाजों में से एक में सूचीबद्ध करते रहते हैं।
हॉब्स की 56.94 की टेस्ट बल्लेबाजी औसत, सलामी बल्लेबाजों में केवल लेन हटन और सटक्लिफ से कम है। वह आराम से अपने करियर के दौरान अग्रणी टेस्ट रन बनाने वाले थे और अपने रिटायरमेंट के समय उनके सबसे ज्यादा टेस्ट रन थे। 1910 और 1929 के बीच में उनकी टेस्ट क्रिकेट में 65.55 की औसत थी।[4]
जैक हॉब्स के कुछ उल्लेखनीय रिकॉर्ड इस प्रकार है[4]:-