जैव-अवकर्षण प्लास्टिक

बाइओडिग्रेड्डबल प्लास्टिक से बनाया हुआ बर्तन.

जैव-निम्नीकारक प्लास्टिक ऐसे प्लास्टिक होते हैं, जो पर्यावरण में प्राकृतिक वायुजीवी (खाद) तथा अवायुजीवी (कचरा) के रूप में अपघटित हो जाते हैं। प्लास्टिक का जैव-निम्नीकरण, पर्यावरण में सूक्ष्मजीवों को सक्रिय कर संपन्न किया जा सकता है, जो प्लास्टिक झिल्लियों की आण्विक संरचना के उपापचय द्वारा एक खाद सदृश मिट्टी वाले अक्रिय पदार्थ का निर्माण करते हैं और पर्यावरण के लिए कम हानिकारक होते हैं। वे जैव-प्लास्टिक अथवा ऐसे प्लास्टिक से बने होते हैं, जिनके घटक नवीकरणीय कच्ची सामग्रियों, या किसी अतिरिक्त पदार्थ के मिश्रण वाले पेट्रोलियम-आधारित प्लास्टिक से निर्मित होते हैं। फैलाव वाले कारकों के मिश्रणयुक्त जैव-सक्रिय यौगिक के प्रयोग से यह सुनिश्चित होता है कि जब वे ताप तथा नमी के संपर्क में आते हैं तो प्लास्टिक अणुओं की संरचना को प्रसारित कर देते हैं और जैव-सक्रिय यौगिकों को प्लास्टिक के उपापचय तथा उदासीनीकरण के लिए प्रेरित कर देते हैं।

जैव-निम्नीकारक प्लास्टिक विशेष रूप से दो रूपों में निर्मित किए जाते हैं: इंजेक्शन मोल्डेड (ठोस, 3D आकार), जो इस्तेमाल के बाद फेंक दी जाने वाली खाद्य सेवा वस्तुओं में होते हैं, तथा झिल्ली (फ़िल्म), जो विशेषकर जैविक (ऑर्गेनिक) फल पैकेजिंग तथा पत्तियां और घास के कतरनों के लिए संग्रह करने वाले थैलों एवं अधसड़ी कृषि घास-फूसों में इस्तेमाल होते हैं। कुल मिलाकर जैविक प्लास्टिक्स प्रकृति के लिए बहुत फ़ायदेमंद होता है। जैविक प्लास्टिक बहुत जल्दी खाद बनता है और इससे किसानों को बहुत फ़ायदा होता है।

जैव-निम्नीकारक प्लास्टिक की वैज्ञानिक परिभाषा

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अमेरिका में एएसटीएम इंटरनैशनल (ASTM International) जैव-निम्नीकारक मानकों को परिभाषित करने वाला एक आधिकारिक निकाय है। इन मानकों पर नज़र रखने वाली विशेष उप-समिति, ‘एनवायरन्मेंटली डीग्रेडेबल प्लास्टिक्स एंड बायोबेस्ड प्रोडक्ट्स’ (Environmentally Degradable Plastics and Biobased Products) की डी20.96 (D20.96) समिति के अंतर्गत आती है।[1] मौजूदा एएसटीएम (ASTM) मानकों को मानक विनिर्देशों तथा मानक जांच विधियों के रूप में परिभाषित किए जाते हैं। मानक विनिर्देश सफल तथा असफल परिदृश्य का निर्माण करते हैं, जबकि मानक जांच विधियां प्लास्टिक की विशिष्ट जैव-निम्नीकारक को बढ़ावा देने वाले विशेष जांच पैमाने की पहचान करती हैं।

वर्तमान में ऐसे तीन एएसटीएम (ASTM) मानक विनिर्देश हैं, जो मुख्य रूप से खाद-निर्माण वाले पर्यावरणों में जैव-निम्नीकारक प्लास्टिकों से निपटते हैं,[2] जिनमें एएसटीएम (ASTM) D6400-04 खाद बनने योग्य प्लास्टिकों के लिए मानक विनिर्देश,[3] एएसटीएम (ASTM) D6868 - 03 कागज के स्तरीकरण (कोटिंग) तथा अन्य अधःस्तरीय पदार्थों के रूप में प्रयुक्त प्लास्टिकों के लिए मानक विनिर्देश, तथा एएसटीएम (ASTM) D7081 - 05 समुद्री पर्यावरण में अप्लावी जैव-निम्नीकारक प्लास्टिकों के लिए मानक विनिर्देश होते हैं।[4]

वर्तमान में अवायुजीवी पर्यावरण के लिए सबसे सटीक मानक जांच विधि ASTM D5511 - 02 है, जो उच्च-ठोस अवायुजीवी-पाचन दशाओं के अंतर्गत प्लास्टिक पदार्थों के अवायुजीवी जैव-निम्नीकरण निर्धारण की मानक जांच विधि है।[5] अवायुजीवी पर्यावरणों में एक अन्य मानक जांच विधि है- ASTM D5526 - 94(2002) जो त्वरित अवायुजीवी कचरे की दशाओं में प्लास्टिक पदार्थों के अवायुजीवी जैव-निम्नीकरण के निर्धारण की एक अन्य मानक जांच विधि है,[6] इस जांच को प्रदर्शित करना अत्यंत कठिन साबित हुआ है।

वर्तमान में कैलिफोर्निया का कानून ‘AB 1972’ केवल अमेरिकन सोसाइटी फॉर टेस्टिंग मैटेरियल्स (American Society for Testing Materials) (एएसटीएम) द्वारा सत्यापित की जा सकने वाली शब्दावलियों के प्रयोग द्वारा ही प्लास्टिक के सटीक पर्यावरणीय विज्ञापन को सुनिश्चित करता है। इस कानून में ASTM मानक जांच विधियां शामिल नहीं हैं। दो एएसटीएम (ASTM) मानक विनिर्देश, जिनका कानून में प्रयोग हुआ है, ASTM D6400 तथा D7081 हैं। इन एएसटीएम (ASTM) विनिर्देशों पर खरा उतरने वाले उत्पाद ही अपने उत्पाद लेबलों पर ‘खाद-निर्माण योग्य’ (कम्पोस्टेबल) शब्दों का प्रयोग कर सकते हैं।[7]

जैव-निम्नीकारक प्लास्टिकों के पर्यावरणीय लाभ उनके सही निपटान पर निर्भर करते हैं

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हालांकि, जैव-निम्नीकारक प्लास्टिक हर मर्ज़ की दवा नहीं होतीं. कुछ आलोचक मानते हैं कि प्रमाणित जैव-निम्नीकारक प्लास्टिकों की एक संभावित पर्यावरणीय हानि यह है कि उनमें फंसे कार्बन वायुमंडल में ग्रीनहाउस गैस के रूप में मुक्त होते हैं। हालांकि प्राकृतिक-पदार्थों से प्राप्त जैव-निम्नीकारक प्लास्टिक, जैसे सब्जियों वाली फ़सलों से या जंतु उत्पाद से व्युत्पन्न प्लास्टिक अपनी वृद्धि के चरण में CO2 को अलग करते हैं, इस प्रकार जब वे अपघटित हो रहे होते हैं केवल तभी CO2 मुक्त करते हैं, इसलिए कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन में कोई परिणामी वृद्धि नहीं होती.[उद्धरण चाहिए]

हालांकि प्रमाणित जैव-निम्नीकारक प्लास्टिक के जैव-निम्नीकरण के लिए नमी तथा ऑक्सीजन वाले एक विशेष वातावरण की आवश्यकता होती है, जो व्यावसायिक रूप से संचालित खाद निर्माण स्थलों में पाया जाता है। प्राकृतिक पदार्थों से प्राप्त जैव-निम्नीकारक प्लास्टिकों के प्रसंस्करण में प्रयुक्त कार्बन, जीवाश्म इंधन तथा जल के कुल प्रयोग तथा उनके मानव खाद्य आपूर्ति के लिए नकारात्मक प्रभाव को लेकर काफी बहस चल रही है। अनवीकरणीय जीवाश्म इंधनों से बने पारंपरिक प्लास्टिक में प्लास्टिक के प्रसंस्करण में प्रयुक्त कार्बन की मात्रा से अधिक कार्बन फंसे होते हैं। कार्बन, प्लास्टिक के लैटिस के भीतर फंसे होते हैं तथा वे विरले ही पुनर्चक्रित किए जाते हैं।

चिंता यह है कि जब वास्तविक जैव-निम्नीकारक प्लास्टिक समेत जैव-निम्नीकारक पदार्थ किसी अवायुजीवी (कचरा) वातावरण में अपघटित होता है तो अन्य ग्रीन हाउस गैस, मीथेन, मुक्त हो सकती है। इन विशेष कचरा-स्थलों वाले वातावरण से निर्मित मीथेन विशेष रूप से एकत्र किया जाता है और वातावरण में मुक्त होने से बचाने के लिए उन्हें जला दिया जाता है। स्वच्छ सस्ती ऊर्जा के प्रयोग के लिए आजकल कुछ कचरा स्थल (लैंडफ़िल) मीथेन बायोगैस एकत्र करते हैं। निश्चित रूप से अजैव-निम्नीकारक प्लास्टिक को जलाने से काबर्न डाइ ऑक्साइड भी मुक्त होता है। अवायुजीवी (लैंडफ़िल) वातावरण के प्राकृतिक जैव-निम्नीकारक से निर्मित प्लास्टिक के जमाव के कारण प्लास्टिक सैकड़ों सालों तक मौजूद रहते हैं।

यूएस ईपीए (US EPA) ने कचरा स्थल डिजायन तथा निर्माण के लिए कड़े मानक लागू किए हैं ताकि प्रमुख रूप से कचरा स्थलों में जैव-निम्नीकरण को रोका जा सके. इसलिए कचरा स्थल से मिथैन का उद्देश्यपूर्ण उत्पादन एक विरल उदाहरण है और अधिकतर शहरी ठोस अपशिष्ट के लिए नियम नहीं है।

यह भी संभव है कि अंततः जीवाणु में प्लास्टिकों के निम्नीकरण की क्षमता विकसित हो जाएगी. यह तो नायलॉन के साथ पहले ही हो चुका है: वर्ष 1975 में दो प्रकार के नायलॉन भक्षी जीवाणुओं, फ्लैवोबैक्टीरिया (Flavobacteria) तथा स्युडोमोनास (Pseudomona) की खोज की गई, जिनमें ऐसा एंजाइम (नायलोनेज) पाया गया, जो नायलोन को अपघटित करने में सक्षम होता है। जबकि निपटान के लिए कोई समाधान नहीं है, तो ऐसे में यह संभव है कि जीवाणुओं में अन्य संश्लेषित प्लास्टिकों के उपयोग की भी क्षमता विकसित कर ले. वर्ष 2008 में 16 वर्ष के एक लड़के ने कथित रूप से प्लास्टिक खाने वाले दो जीवाणुओं का पता लगाया.[8]

वास्तव में बाद वाली संभावना सायबरमेन (Cybermen) के निर्माताओं किट पेड्लर तथा गेरी डेविस (पटकथा-लेखक) द्वारा लिखित एक चेतावनीपूर्ण उपन्यास का विषय थी, जहां उन्होंने अपनी डूमवाच (Doomwatch) श्रृंखला के पहले धारावाहिक के कथानक का पुनरुपयोग किया था। वर्ष 1971 में लिखित उपन्यास म्युटैंट 59: द प्लास्टिक ईटर (Mutant 59:The plastic Eater), एक ऐसी कहानी है, जिसमें प्लास्टिक के भक्षण के लिए उत्पन्न होने वाले या कृत्रिम रूप से निर्मित किए जीवाणु को एक बड़े शहर में छोड़ दिया जाता है।

क्रियाविधि

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पॉलीहाइड्रोक्सीअल्केनोएट (पीएचए) जैसे जैव-बहुलक पदार्थ को किसी औद्योगिक खाद निर्माण स्थल में पूरी तरह से खाद बनाया जा सकता है। पॉलीलैक्टिक अम्ल (पीएलए) 100% खाद बनने वाला एक अन्य जैव-बहुलक है, जो किसी औद्योगिक खाद निर्माण स्थल पर 60C पर पूरी तरह से निम्नीकृत किया जा सकता है। पूर्ण जैव-निम्नीकारक प्लास्टिक काफी महंगे होते हैं, कुछ हद तक इस कारण से कि बड़े आर्थिक पैमाने को हासिल करने के लिए वे व्यापक रूप से निर्मित नहीं किए जाते.

कुछ योज्य पदार्थ (additives) जब एक पारंपरिक प्लास्टिक में मिलाए जाते हैं, तब सूक्ष्मजीव उनके हाइड्रोकार्बनों को सूंघते हैं और उनकी आण्विक संरचना की ओर आकर्षित हो जाते हैं। तेल जब भूमि में होता है, तब सूक्ष्मजीव हाइड्रोकार्बनों की ओर आकर्षित होते हैं तथा तेल का भक्षण कर प्राकृतिक गैस का निर्माण करते हैं, जिसमें 50% मिथैन गैस होती है। तेल को जब विखंडित किया जाता है, तब 4% का इस्तेमाल प्लास्टिक उद्योग के लिए किया जाता है, पर यदि प्लास्टिक उद्योग इस 4% का प्रयोग नहीं करता है तब इस 4% को बेकार माना जाता है और उसे बाहर कर दिया जाता है या हटा दिया जाता है और अपशिष्ट निपटान स्थल पर उसे जमा कर दिया जाता है; अन्य 4% का प्रयोग आपके उपभोक्ता उत्पादों के निर्माण में किया जाता है। सूक्ष्मजीवों को प्लास्टिक की आण्विक संरचना की तरफ आकर्षित करने वाले जैविक यौगिकों के विखंडन की इसी अवस्था के दौरान उन्हें जला दिया जाता है। जलाए जाने वाले जैविक यौगिक तथा अन्य प्रमुख यौगिक जो सूक्ष्मजीवों की निर्दिष्ट संख्या की बोध को बढ़ाते हैं और सूक्ष्मजीवों के पीएच (pH) संतुलन को प्लास्टिक की आणविक संरचना में स्थित किया जाता है, ताकि ऐसे प्लास्टिक उत्पाद बनाए जा सकें जो सामान्य प्लास्टिक की अपेक्षा 100 गुना अधिक तीव्रता से निम्नीकृत हो सके.

लाभ तथा हानियां

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उचित दशाओं में जैव-निम्नीकारक प्लास्टिकों को उस बिंदु तक निम्नीकृत किया जा सकता है, जहां सूक्ष्मजीव उन्हें उपापचयित कर सकें.

तेल आधारित जैव-निम्नीकारक प्लास्टिक संग्रहित कार्बन को कार्बन डाइऑक्साइड के रूप में मुक्त कर सकते हैं। टिकाऊ कृषि विधियों द्वारा निर्मित मंड आधारित जैव-प्लास्टिक लगभग कार्बन उदासीन हो सकता है, पर मिट्टी, जल प्रयोग तथा गुणवत्ता पर नुकसानदेह असर कर सकता है और जिससे खाद्य-पदार्थों की कीमत ऊंची हो सकती है।

पर्यावरण से जुड़ी चिंताएं; लाभ

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‘सोसाइटी ऑफ प्लास्टिक इंजीनियर्स’ (Society of Plastics Engineers) के अनुसार हर वर्ष दुनियाभर में लगभग 200 मिलियन टन प्लास्टिक का निर्माण किया जाता है।[9][अविश्वनीय स्रोत?] उन 200 मिलियन टनों में से, 26 मिलियन टन का उत्पादन अमेरिका में होता है। वर्ष 2003 में ईपीए (EPA) ने सूचना दी कि उन 26 मिलियन टन प्लास्टिक कचरों का केवल 5.8% ही पुनर्चक्रित किया जाता है, हालांकि यह तेजी से बढ़ रहा है।

प्लास्टिक के पुनर्चक्रण के लक्ष्यों को निराश करने वाला प्रमुख कारण यह है कि पारंपरिक प्लास्टिक को प्रायः जैविक अपशिष्टों (खाद्य कूड़े, गीले कागज तथा द्रव) के साथ मिला दिया जाता है, जिससे इसके भीतर स्थित बहुलक को महंगी स्वच्छता तथा सफाई विधियों के बिना पुनर्चक्रित करना कठिन तथा अव्यावहारिक हो जाता है।

दूसरी ओर, इन मिश्रित जैविक पदार्थों (खाद्य कूड़े, बगीचों के कचरे तथा गीले, अपुनर्चक्रण वाले कागज) से खाद का निर्माण करना (composting) अपशिष्टों की एक बड़ी मात्रा का निपटारा करने और सामुदायिक पुनर्चक्रण लक्ष्यों में नाटकीय रूप से वृद्धि करने की एक संभावित रणनीति होती है। खाद्य कूड़े, तथा गीले, अपुनर्चक्रण वाले कागजों में शामिल हैं 50 मिलियन टन ठोस शहरी कचरे.[10]. इन अपशिष्ट वर्गों में जैव-निम्नीकारक प्लास्टिक अनिम्नीकरणीय प्लास्टिकों को विस्थापित सकते हैं, जिससे शहरी कचरे का खाद निर्माण, कचरा स्थलों से अप्राप्य अपशिष्टों की बड़ी मात्रा को दूसरे काम में लगाने का एक प्रमुख कारण बन जाता है।

भले ही पारंपरिक प्लास्टिकों की थोड़ी मात्रा ही जैविक पदार्थों में मिलाई जाए पर प्लास्टिक के नन्हे टुकड़ों के कारण जैविक अपशिष्टों का पूरा समूह ही “संदूषित” हो जाता है, जो अच्छी गुणवत्ता वाले खाद पदार्थ को बरबाद कर देता है। इसलिए खाद निर्माता तब तक मिश्रित जैविक अपशिष्ट वर्गों को स्वीकार नहीं करेंगे, जब तक कि वे पूरी तरह से अनिम्नीकरणीय प्लास्टिकों से रहित न हो जाएं. इसलिए अनिम्नीकरणीय प्लास्टिकों की अपेक्षाकृत छोटी मात्रा से भी एक महत्वपूर्ण अपशिष्ट निपटान रणनीति बाधित हो जाती है।

हालांकि जैव-निम्नीकारक प्लास्टिकों के समर्थक यह दलील पेश करते हैं [कौन?] कि ये पदार्थ इस समस्या का समाधान प्रस्तुत करते हैं। प्रामाणित जैव-निम्नीकारक प्लास्टिकों के खाद निर्माण संयंत्र में पूर्ण रूप से जैव-निम्नीकरणीय क्षमता के साथ ही उनकी उपयोगिता (हल्कापन, प्रतिरोधी, अपेक्षाकृत सस्ता होना) जुड़ी होती है। अपेक्षाकृत कम मात्रा में मिश्रित प्लास्टिकों को पुनर्चक्रित करने के बारे में चिंतित होने की बजाए ये समर्थक यह मानते हैं कि प्रामाणित जैव-निम्नीकारक प्लास्टिकों को अन्य जैविक अपशिष्टों के साथ शीघ्र मिश्रित किया जा सकता है, जिससे अप्राप्य ठोस अपशिष्ट की बड़ी मात्रा में खाद-निर्माण संभव हो पाता है। सभी मिश्रित जैविक पदार्थों का व्यावसायिक खाद-निर्माण तब व्यावसायिक रूप से साध्य तथा आर्थिक रूप से टिकाऊ हो जाता है। अधिक संख्या में नगर-निकाय अधिक बोझ वाले कचरा स्थलों से उल्लेखनीय मात्रा में अपशिष्टों का दिशा-परिवर्तन कर सकते हैं, क्योंकि संपूर्ण अपशिष्ट वर्ग अब जैव-निम्नीकारक हो जाते हैं और इसलिए उनका प्रसंस्करण आसान हो जाता है।

अतः जैव-निम्नीकारक प्लास्टिकों के उपयोग को बड़ी मात्रा में शहरी ठोस कचरों (वायुजीवी खाद-निर्माण के द्वारा) की पूर्ण प्राप्ति के एक प्रेरक के रूप में देखा जाता है, जो कचरा-स्थल या जला कर राख करने के अलावा अन्य माध्यमों में अप्राप्य होता.

शब्दों की उचित परिभाषा को लेकर दुविधा

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हाल तक 'जैव-निम्नीकारक’ शब्द के उपयोग के विपणन दावों को लेकर कुछ ही कानूनी मानक हुआ करते थे। वर्ष 2007 में कैलिफोर्निया राज्य ने ऐसा नियम बनाया जो कंपनियों को अपने उत्पादों को तृतीय पक्ष प्रयोगशाला द्वारा प्रमाणीकरण करवाये बिना जैव-निम्नीकारक घोषित करने से प्रतिबंधित करता है।

ऑस्ट्रेलिया की संघीय अदालत ने 30 मार्च 2009 को घोषित किया कि इस्तेमाल कर फेंके जाने वाले 'जैव-निम्नीकारक' डायपर की एक निर्माण कंपनी का निदेशक जैव-निम्नीकरणीयता के बारे में जानबूझकर झूठे व भ्रामक दावे कर रहा था।[11]

जून 2009 में फेडरल ट्रेड कमीशन (Federal Trade Commission) ने दो कंपनियों को जैव-निम्नीकरणीयता को लेकर असमर्थित विपणन दावे करने का दोषी पाया।[12]

उत्पादन के लिए ऊर्जा लागत

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कई अनुसंधानकर्ताओं ने जैव-निम्नीकारक बहुलकों के गहन जीवन चक्र का मूल्यांकन किया है, ताकि यह पता लगाया जा सके कि क्या ये पदार्थ पारंपरिक जीवाश्म इंधन-आधारित साधनों की अपेक्षा अधिक ऊर्जा दक्ष है अथवा नहीं. गर्नग्रॉस व अन्य (Gerngross, et al.) ने आकलन किया कि एक किलोग्राम पॉलीहाइड्रोक्सीऐल्केनोएट (पीएचए) के निर्माण में प्रयुक्त जीवाश्म इंधन ऊर्जा की 50.4 MJ/kg मात्रा ख़पत होती है,[13][14] जो ऐकियामा व अन्य (Akiyama, et al.)[15] के एक अन्य आकलन के समान था, जिसने यह मान 50-59 MJ/kg के बीच बताया. इस सूचना में फीडस्टॉक (feedstock) ऊर्जा पर विचार नहीं किया गया था, जो गैर-जीवाश्म आधारित विधियों से प्राप्त होती है। पॉलीएक्टाइड (PLA) के लिए दो स्रोतों से मिलने वाली जीवाश्म ऊर्जा लागत 54-56.7 मानी जाती है,[16][17] पर ‘नेचर वर्क्स’ द्वारा PLA के व्यावसायिक उत्पादन में हाल में हुई प्रगति ने वायु ऊर्जा की आपूर्ति द्वारा तथा बायोमास-चालित रणनीतियों से जीवाश्म इंधन आधारित ऊर्जा पर निर्भरता कुछ कम दी है। उन्होंने एक किलोग्राम पीएलए (PLA) के लिए केवल 27.2 एमजे (MJ) जीवाश्म इंधन-आधारित ऊर्जा लागत की सूचना दी और यह अनुमान लगाया कि अगली पीढ़ी के संयंत्रों में यह संख्या गिरकर 16.6 MJ/kg पर चली जाएगी. इसके विपरीपॉलीप्रोपीलीन (polypropylene) तथा उच्च घनत्व वाले पॉलीएथिलीन (polyethylene) के लिए क्रमशः 85.9 तथा 73.7 MJ/kg की आवश्यकता होती है, पर इन मानों में सन्निहित फीडस्टॉक ऊर्जा शामिल है, क्योंकि यह जीवाश्म इंधन पर आधारित है।[18]

गर्नग्रॉस ने एक किलोग्राम पीएचए (PHA) के लिए कुल 2.65 जीवाश्म इंधन ऊर्जा को समतुल्य बताया, जबकि पॉलीप्रोपलीन के लिए केवल 2.2 किग्रा एफएफई (FFE) की आवश्यकता होती है।[19] गर्नग्रॉस ने मूल्यांकन किया कि किसी भी जैव-निम्नीकारक बहुलक विकल्प को अपनाने के लिए ऊर्जा, पर्यावरण तथा आर्थिक लागत को लेकर समाज की प्राथमिकताओं को ध्यान में रखना होगा.

इसके अलावा वैकल्पिक तकनीकों की नवीनता को पहचानना भी अहम है। उदाहरण के लिए पीएचए (PHA) के उत्पादन की प्रौद्योगिकी आज भी विकास के चरण में है,[20] तथा किण्वन चरण को हटाकर या फीडस्टॉक के रूप में खाद्य अपशिष्टों का प्रयोग कर ऊर्जा की ख़पत को और भी कम किया जा सकता है।[21] मक्के के अलावा अन्य वैकल्पिक फ़सलों, जैसे ब्राज़ील के गन्ने से कम ऊर्जा ख़पत की अपेक्षा की जाती है- ब्राज़ील में किण्वन द्वारा पीएचए (PHAs) का निर्माण अनुकूल ऊर्जा ख़पत योजना पर आधारित होता है, जहां नवीकरण ऊर्जा के स्रोत के रूप में बैगेसी (bagasse) का प्रयोग किया जाता है।[22]

कई जैव-निम्नीकारक बहुलक भी, जो नवीकरणीय स्रोत (जैसे मंड-आधारित, पीएचए (PHA), पीएलए (PLA)) से उत्पन्न होते हैं, खाद्य उत्पादन से प्रतिस्पर्धा करते हैं, क्योंकि प्राथमिक फीडस्टॉक मक्का है। अमेरिका में बीपी (BPs) के साथ इसके मौजूदा प्लास्टिक निर्माण की उत्पादकता के लिए इसे उत्पादित मात्रा के 1.62 वर्ग मीटर प्रति किलोग्राम की आवश्यकता होगी.[23] भले ही यह स्थान आवश्यकता उपयुक्त हो सकती है, पर इस बड़े पैमाने के उत्पादन से खाद्य कीमतों तथा इस विधि में वैकल्पिक विधि की तुलना में भूमि के उपयोग की लागत पर कितना प्रभाव पड़ा होगा, यह भी देखना अहम होगा.

इन्हें भी देखें

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  • बाइओडिग्रेड्डबल वेस्ट
  • प्लास्टिक की थैली
  • फॉटोडीगरेडेशन
  • बायोप्लास्टिक
  • मैरेल
  • इनजिओ
  • बाइओडिग्रेड्डबल की थैली

सन्दर्भ

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  1. "संग्रहीत प्रति". मूल से 17 जून 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितंबर 2010.
  2. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 सितंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितंबर 2010.
  3. "संग्रहीत प्रति". मूल से 12 जून 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितंबर 2010.
  4. "संग्रहीत प्रति". मूल से 12 सितंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितंबर 2010.
  5. "संग्रहीत प्रति". मूल से 10 अगस्त 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितंबर 2010.
  6. "संग्रहीत प्रति". मूल से 14 सितंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितंबर 2010.
  7. "संग्रहीत प्रति". मूल से 19 सितंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितंबर 2010.
  8. "डब्ल्यूसीए (WIC) स्टुडेंट्स आइसोलेट्स माइक्रोब्स डैट लंचेस ऑन प्लास्टिक बैग". मूल से 28 अगस्त 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितंबर 2010.
  9. द हैज़र्ड्स ऑफ़ प्लास्टिक Archived 2010-09-19 at the वेबैक मशीन जूलिया मैकीविज़
  10. "संग्रहीत प्रति". मूल से 4 सितंबर 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितंबर 2010.
  11. "संग्रहीत प्रति". मूल से 11 जुलाई 2011 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 8 सितंबर 2010.
  12. Galbraith, Kate (June 11, 2009). "संग्रहीत प्रति". The New York Times. मूल से 3 फ़रवरी 2010 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि April 26, 2010.
  13. Gerngross, Tillman U. (1999). "Can biotechnology move us toward a sustainable society?". Nature Biotechnology. 17 (6): 541–544. PMID 10385316. डीओआइ:10.1038/9843.
  14. Slater, S. C.; Gerngross, T. U. (2000). "How Green are Green Plastics?". Scientific American.
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  16. विंक, इ.टी. एच; रबगो, के. आर.; ग्लास्नर, डी. ए.; ग्रूबर, पी. आर. पौलीमर डीग्रेडेशन एंड स्टेबीलिटी 2003, 80, 403-419.
  17. बॉलमैन, जी. बाइओडिग्रेड्डबल पौलीमर लाइफ साइकल असेसमेंट, प्रोसेस एकोनॉमिक्स प्रोग्रैम, 2001.
  18. फ्रिस्चनेट (Frischknecht), आर.; सूटर, पी. ओको-इनवर्टर (Oko-inventare) वन इनर्जीसिस्टेमेन (Energiesystemen), थर्ड एड., 1996.
  19. गर्नग्रॉस, टी. यू.; स्लेटर, एस. सी. साइनटीफिक अमेरिकन 2000, 283, 37-41.
  20. "मेटाबॉलिक्स". मूल से 20 नवंबर 2016 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 जून 2020.
  21. "Microbes manufacture plastic from food waste". Technology News. April 10, 2003. मूल से 9 नवंबर 2008 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि June 13, 2007.
  22. "पीएचबी (PHB) औद्योगिक, ब्राज़ील". मूल से 8 फ़रवरी 2019 को पुरालेखित. अभिगमन तिथि 14 जून 2020.
  23. विंक, इ. टी. एच.; ग्लास्नर, डी. ए.; कोलस्टैड, जे. जे.; वूली, आर. जे.; ओ'कॉनर, आर. पी. औद्योगिक जैवप्रौद्योगिकी 2007, 3, 58-81.