जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट कोई भी ऐसा कचरा है जिसमें संक्रामक या संभावित संक्रामक सामग्री होती है। ये अपशिष्ट मनुष्यों और जानवरों के निदान, उपचार और टीकाकरण के दौरान उत्पन्न होते हैं। जैविक चिकित्सीय कचरा ठोस और तरल दोनों रूपों में हो सकता है। जैविक चिकित्सीय कचरे के निम्नलिखित उदाहरण हैं : बेकार नुकीले उपकरण जैसे सुई, लैंसेट, सीरिंज, स्केलपेल और टूटा हुआ काँच इत्यादि।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने इस प्रकार के अपशिष्ट को आठ श्रेणियों में वर्गीकृत किया है। वे हैं :
कोविड-19 के प्रकोप के कारण जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट में असहनीय वृद्धि हुई। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीबीसी) ने जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट निपटान पर दिशानिर्देश जारी किए हैं। दिशानिर्देशों के अनुसार, जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट को पीले डब्बे में एकत्र किया जाता है। फिर डब्बे को सामान्य जैविक चिकित्सीय अपशिष्ट उपचार सुविधा (सीबीडब्ल्यूटीएफ) या अपशिष्ट-से-ऊर्जा संयंत्र में ले जाया जाता है। वहाँ उनसे ऊर्जा उत्पन्न करने के लिए भस्म कर दिया जाता है, या जला दिया जाता है।[1]
इसके अलावा, केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सी॰पी॰सी॰बी॰)[2] ने जैविक चिकित्सीय कचरे को उनकी प्रकृति के अनुसार निपटाने के लिए अलग-अलग रंग के डिब्बे नामित किए हैं।
प्रत्येक डिब्बे में मौजूद कचरे के उपचार और निपटान के तरीके अलग-अलग होते हैं।