जौनसारी जनजाति Chakrata | |
---|---|
जौनसार चकराता में टाइगर फ़ाल्स | |
निर्देशांक: 30°42′07″N 77°52′08″E / 30.702°N 77.869°Eनिर्देशांक: 30°42′07″N 77°52′08″E / 30.702°N 77.869°E | |
ज़िला | देहरादून ज़िला |
प्रान्त | उत्तराखण्ड |
देश | भारत |
ऊँचाई | 2118 मी (6,949 फीट) |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 5,117 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हिन्दी, जौनसारी |
जौनसारी जनजाति (Chakrata) मुख्यतः भारत मै उत्तराखण्ड राज्य के देहरादून ज़िले के चकराता, कालसी वह त्यूणी तहसील में निवास करती है।[1] चकराता, कालसी, त्यूणी वह लाखामंडल का क्षेत्र जौनसार बावर के नाम से जाना जाता है, जौनसार का केंद्र चकराता देहरादून से 90 किमी की दूरी पर स्तिथ है, जौनसार के पूर्व मै यमुना नदी एवं पश्चिम मै टोंस नदी स्तिथ है, टोंस नदी ही उत्तराखंड को हिमांचल से अलग करती है, जौनसार बावर का मुख्य बाजार चकराता है, जो समुद्र तल से 2118 मीटर (6949 फुट) ऊंचाई पर बसा है, चकराता एक प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है।[2]
जौनसार बावर अपनी अनोखी संस्कृति, भेषभूषा रहन-सहन के लिए प्रसिद्ध है। भारत सरकार द्वारा 1967 मै जौनसार बावर को जनजातीय क्षेत्र घोषित किया गया था।[1] यह भारत का संभवतः पहला ऐसा जनजाति समुदाय है, जिसे जाति के आधार पर आरक्षण नहीं मिला है, बल्कि आर्थिक व पिछड़ेपन के कारण इसे जनजाति का दर्जा दिया गया था।
जौनसारी जनजाति भारत की संभवतः एकमात्र जनजाति है, जिसे आर्थिक व पिछड़ेपन के आधार पर 1967 में जनजाति का दर्जा दिया गया। जौनसार बावर में निवास करने वाली जातियों मे सामान्यतः राजपुत (जिन्हे स्थानीय भाषा में खोश कहा जाता है) ब्राह्मण खोश या भाट, कहा जाता है। इन्हे पांडवो के वंशज माने जाते है, और अन्य जातियों में बाजगी, बढ़ई एवं दलित लोग निवास करते है।[1] राजपूतो मै चौहान, राणा, तोमर, राठौर, पंवार आदि एवं पंडितों मैं जोशी, दत्त, नौटियाल आदि लोग निवास करते है।
जौनसार अपनी एक अनूठी संस्कृति, भेषभूषा, खानपान, रहन-सहन, के कारण दुनिया भर में प्रसिद्ध है।
जौनसार बावर मै मुख्यतः नुणाई, बिस्सु, माघ मेला, दीपावली, दशहरा आदि कहीं त्यौहार है, जो बड़ी धूमधाम से मनाये जाते है। प्रत्येक त्यौहार में लोग सामूहिक नृत्य करते है, और डोल और दमॉऊ की दुन बजायी जाती है।
जौनसार बावर अपने प्राकृतिक सौन्दर्य के लिए जाना जाता है, यहां का वातावरण साफ एवं स्वच्छ है, चकराता, चिलिमिरी, चुरानी,सवाई, टांनडांडा, रामताल गार्डन, बैरटखाई, लाखामंडल, टाइगर फॉल, बुंदेर गुफा, कोटी कनासर, हनोल व देववन आदि कहीं पर्यटन स्थल है, जहां जाने पर आप एकदम तरोताजा हो जायेंगे।
जौनसार बावर में कहीं पकवान बनाये जाते है, जिसमे से प्रमुख है हुलुए, पिनुए, कोपराड़ी या असके, चिलडे आदि ऐसे पकवान है जो आपको मुख्य रूप से केवल जौनसार बावर में ही खाने को मिलेंगे।