झ़ंगझ़ुंग (तिब्बती: ཞང་ཞུང་, Zhang Zhung), जिसे शंगशुंग (Shang Shung) भी उच्चारित किया जाता है, तिब्बत के पश्चिमी व पश्चिमोत्तरी इलाक़ों में एक प्राचीन संस्कृति और राज्य था। 'झ़ंगझ़ुंग' में बिन्दुयुक्त 'झ़' के उच्चारण पर ध्यान दें क्योंकि यह 'झ' और 'ज़' दोनों से काफ़ी भिन्न है और 'टेलिविझ़न' और 'अझ़दहा' में आने वाले स्वर जैसा है। झ़ंगझ़ुंग संस्कृति कैलाश पर्वत के क्षेत्र पर केन्द्रित थी और इसका बोन धर्म से सम्बन्ध था।[1] अपने चरम पर इसका विस्तार पश्चिमोत्तर में मध्य एशिया के सरमती क्षेत्र और दक्षिण-पश्चिम में पंजाब के जलंधर क्षेत्र से लेकर पूर्व में लगभग पूरे तिब्बत के पठार पर और दक्षिण में आधुनिक नेपाल में स्थित मुस्तांग राज्य तक विस्तृत था। लद्दाख़, बल्तिस्तान, तकलामकान रेगिस्तान और चांगथंग पठार के क्षेत्र सभी इसमें सम्मिलित थे।
झ़ंगझ़ुंग संस्कृति कब उभरी, इसको लेकर विद्वानों में मतभेद है हालाँकि कुछ के अनुसार इसके चिह्न १५०० ई॰पू॰ में चांगथंग में तब नज़र आने लगे जब वह पठार आज की तुलना में कही अधिक अनुकूल वातावरण रखता था। धीरे-धीरे चांगथंग शुष्क होता चला गया और राज्य दक्षिण-पश्चिम में केन्द्रित हो गया। ऐतिहासिक स्रोत कहते हैं कि यह १८ राज्यों का संघ था।[2] झ़ंगझ़ुंग राज्य का अन्त तिब्बती साम्राज्य के संस्थापक सोंगत्सेन गम्पो ने तब किया जब उन्होने इस पर क़ब्ज़ा करके इसे अपने राज्य का हिस्सा बना लिया। सम्भवत: यह ६३४ ईसवीं के आसपास हुआ, हालाँकि इस तिथि पर भी विवाद है।[3]