झारसुगुड़ा ଝାରସୁଗୁଡ଼ା Jharsuguda | |
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झारसुगुड़ा रेलवे स्टेशन | |
निर्देशांक: 21°51′N 84°02′E / 21.85°N 84.03°Eनिर्देशांक: 21°51′N 84°02′E / 21.85°N 84.03°E | |
देश | ![]() |
राज्य | ओड़िशा |
ज़िला | झारसुगुड़ा ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 97,730 |
भाषा | |
• प्रचलित भाषाएँ | ओड़िया |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
झारसुगुड़ा (Jharsuguda) भारत के ओड़िशा राज्य के झारसुगुड़ा ज़िले में स्थित एक नगर है। यह ज़िले का मुख्यालय भी है।[1][2][3]
पश्चिमी उड़ीसा में स्थित झारसुगुडा प्रारंभ में संभलपुर जिला का हिस्सा था। वर्तमान में यह झारसुगुडा जिले में आता है। 1 अप्रैल 1994 को इसे नए जिले के रूप में गठित किया गया। प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध झारसुगुडा उड़ीसा के सबसे ज्यादा औद्योगिक शहरों में एक है। साथ ही पर्यटन की दृष्टि से भी इसका खासा महत्व है। ब्राह्मणीदीह, मानिकमोडा गुफाएं, रॉक पेंटिंग, बिक्रमखोल, उलपगढ़, पद्मासिनी मंदिर, रामचंदी, कोइलीघूघर जलप्रपात, श्री पहाडेश्वर, महादेबपल्ली, कोलाबीरा किला आदि प्रमुख दर्शनीय स्थल हैं।
हेमगिर स्टेशन से 4 किलोमीटर दूर घने जंगलों में यह गुफाएं स्थित हैं। एक संकरा रास्ता गुफा तक जाता है। माना जाता है कि साधु-संत ध्यान लगाने के लिए यहां नियमित रूप से आते आते हैं। देखरेख के अभाव में यह पत्थर की गुफांए क्षतिग्रस्त अवस्था में पहुंच गईं हैं। गुफा में अनेक प्राचीन मूर्तियां देखी जा सकती हैं।
यह मंदिर उड़ीसा स्पेशल आर्मड पुलिस की दूसरी बटालियन के परिसर में है। यह मंदिर नेपाल के पशुपतिनाथ मंदिर के समकक्ष माना जाता है। 45 फीट ऊंचे इस मंदिर में संगमरमर से बनी देवी दुर्गा, भगवान गणेश, कार्तिकेय, सरस्वती और लक्ष्मी की अनेक प्रतिमाएं स्थापित हैं। 3200 वर्ग मीटर में फैला यह मंदिर वास्तुकारी से दृष्टि से अद्वितीय है।
झारसुगुडा से 21 किलोमीटर दूर झारसुगुडा-बेलपाहर रोड पर उलप गांव के निकट यह किला स्थित है। यहां के महेश्वर पहाड पर यह प्राचीन किला बना हुआ है। यह पहाड करीब 1000 फीट की ऊंचाई पर है। पहाड का शिखर समतल है और वहीं यह किला बना है। किले में एक साथ 1000 लोग ठहर सकते हैं। यह किला नाजा वंश के कुछ शासकों का निवास स्थल माना जाता है।
पदमपुर नगर में स्थित इस मंदिर का निर्माण 7वीं शताब्दी में दक्षिण के चालुक्य राजाओं ने करवाया था। कहा जाता है कि यहां के मूल मंदिर का क्षय हो चुका था और 16वीं शताब्दी में संभलपुर के चौहान राजाओं ने इसका पुन: निर्माण करवाया। पूरे उड़ीसा में इस मंदिर को चालुक्य काल की बेहतरीन निशानी माना जाता है। पदमपुर संस्कृत के महान नाटककार भवभूति का जन्मस्थान भी माना जाता है।
झारसुगुडा से 10 किलोमीटर दूर स्थित रामचंदी भारत के प्राचीन शक्तिपीठों में एक है। काफी लंबे समय से देवी रामचंदी को यहां इष्टदेवी के रूप पूजा जाता रहा है। यह मंदिर न केवल रामपुर क्षेत्र अपितु पूरे पश्चिमी उड़ीसा में प्रसिद्ध है। दूर-दराज से लोग यहां देवी की पूजा करने आते हैं।
लखनपुर ब्लॉक में कुशमेलबहल गांव के निकट स्थित यह जलप्रपात झारसुगुदा से 55 किलोमीटर की दूरी पर है। अहिराज नामक यह नदी पहाड़ी रास्ते से निकलकर और 200 फीट की ऊंचाई से गिरकर यह जलप्रपात बनाती है। आगे चलकर अहिराज नदी महानदी में मिल जाती है। इस खूबसूरत झरने को देखने के लिए लोगों का निरंतर आना-जाना लगा रहता है।
झारसुगुडा विमानक्षेत्र जिले का नजदीकी एयरपोर्ट है, जो अनेक एयरपार्टो से जुड़ा हुआ है।
झारसुगुडा रेलवे स्टेशन दक्षिण पूर्व रेलवे का प्रमुख रेलवे स्टेशन है। यह स्टेशन जिले को देश के अन्य हिस्सों से जोड़ता है।
स्टेट हाइवे 10 झारसुगुडा को राज्य और पड़ोसी राज्यों के कई शहरों से जोड़ता है। राज्य परिवहन निगम की बसें अनेक शहरों से झारसुगुडा के लिए चलती रहती हैं।