प्रकार | चाय, ग़ैर-एल्कोहलिक पेय |
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उत्पादक | टेमी चाय बागान |
वितरक | कुछ मात्रा में निर्धारित वितरकों द्वारा स्थानीय विक्रय |
शुरूआत | 1969 (बागान स्थापना) 1974 (चाय बोर्ड स्थापित) |
रंग | काला |
फ़्लेवर | गहरी सुगंध और स्वाद |
प्रयुक्त सामग्री | चाय |
अन्य रूप | टेमी चाय, सिक्किम सोलजा सिक्किम खांचोन्जोंगा, मिस्टीक |
टेमी चाय भारत के सिक्किम राज्य के दक्षिण सिक्किम में स्थित टेमी चाय बगान की चाय है।[1] ज़िला मुख्यालय नामची से उत्तर पूर्व में दामथांग और तेमी बाजार के बीच 177 हेक्टेयर (440 एकड़) इलाके में फैला यह चाय बागान तेंदोंग पर्वत श्रेणी की ढलान पर स्थित है।[2] यह चाय बगान 1969 में सिक्किम सरकार द्वारा शुरू किया गया था और सिक्किम का एकमात्र चाय बागान है। यहाँ की चाय विश्व बाज़ार में ऊँचे दर्ज़े की चाय मानी जाती है।[3] इसे सिक्किम के अंतिम नरेश (चोग्याल) के प्रयासों से स्थापित किया गया था और स्थानीय लोगों के अलावा तिब्बती शरणार्थियों को भी रोज़गार मिला।[1]
बागान के निर्माण से पहले यह इलाका एक शेर्पा गाँव था जिसका रकबा तकरीबन 10 था और यहाँ वन विभाग की पौधशाला (नर्सरी) थी। यह पौधशाला बीसवीं सदी की शुरुआत के दशक में बनी एक स्कॉटलैंड की मिशनरी बिल्डिंग के आसपास थी जिस मंडल स्तरीय वन अधिकारी का कार्यालय और निवास था। ब्रिटिश काल में यह स्कॉटिश मिशनरी इस इलाके का प्रमुख लैंडमार्क थी। बाद में 1954 में इसे सिक्किम सरकार ने अधिग्रहीत कर लिया।
इस परियोजना की शुरुआत अंतिम सिक्किम नरेश चोग्याल पाल्देन थोन्दुप नामग्याल के प्रयासों से शुरू हुई और 1969 में इसकी स्थापना हुई। यह बागान सिक्किम सरकार द्वारा गठित एक टी बोर्ड के मातहत कार्य करता है जिसका नाम ‘संग-मारतम टी ग्रोवर्स कोऑपरेटिव सोसायटी' है। संग मातरम सोसायटी की स्थापना 1998 में हुई।[4]
टेमी चाय बागान कुल 177 हेक्टेयर (440 एकड़) क्षेत्रफल विस्तार लिए हुए है जो तेंदोंग पहाड़ के ढाल पर है। यहाँ की मिट्टी दोमट प्रकार की है और ढाल की प्रवणता 30–50% है। यह इलाका मृदा अपरदन अर्थात् मिट्टी के कटाव से भी कुछ हद तक प्रभावित है और बीच बीच में पथरीली ज़मीन के टुकड़े भी हैं।[5]
भारत सरकार के सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय द्वारा सिक्किम के 2005 के एक अध्ययन में बताया गया कि टेमी चाय बागान में 406 मजदूरऔर 43 अन्य कर्मचारी कार्यरत थे। यहाँकीतत्कालीन औसत वार्षिक उत्पादन क्षमता लगभग 100 टन (एक लाख किलोग्राम) थी।[6]
यहाँ जैविक चाय के उत्पादन को बढ़ावा दिया जा रहा है। टेमी चाय को भारतीय चाय बोर्ड द्वारा वर्ष 1994 और 1995 के लिए "अखिल भारतीय गुणवत्ता पुरस्कार" प्रदान किया गया था।[4]
यह बागान केवल चाय उत्पादन के लिए ही नहीं प्रसिद्ध है बल्कि सिक्किम का एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण भी है।[7] यहाँ पर्यटक हरे बागान के दृश्य के साथ कंचनजंघा पर्वत की ऊँची चोटियों का अवलोकन कर सकते हैं। आमतौर पर लोग यहाँ सर्दियों की शुरुआत में जाना पसंद करते हैं जब मौसम ठंडा लेकिन साफ़ होता है और दृश्यावलोकन के लिए अच्छा होता। नवंबर का महीना सबसे बेहतर माना जाता है जब यहाँ चेरी के पेड़ों में फूल आते हैं।[7] वसंत के समय को भी यहाँ घूमने के लिए बेहतरीन माना जाता है।[8]