डायमैक्सियम नक्शा (Dymaxion map) , फुलर नक्शा (Fuller map) अथवा डायमैक्सियम मानचित्र प्रक्षेप पूरे विश्व को प्रदर्शित करने हेतु निर्मित एक मानचित्र प्रक्षेप है। इस प्रक्षेप के निर्माण में स्थानान्तरणशील सतह एक आइक्सहेड्रॅन (एक साथ जुड़े बीस समतल सतहों वाली ज्यामितीय आकृति) होता है। अर्थात, मानचित्र निर्माण के लिए पृथ्वी को गोलाभीय ग्लोब पर कल्पित करने के स्थान पर आइक्सहेड्रॅन पर कल्पित करके द्विविमीय तल पर स्थानांतरित किया जाता है।
इस प्रक्षेप का निर्माण बकमिन्स्टर फुलर ने किया था और यह सर्वप्रथम प्रसिद्ध अमेरिकी पत्रिका लाइफ़ के 1 मार्च 1943 के अंक में उन्ही के एक लेख के साथ प्रकाशित हुआ जिसमें इसके विविध रूप और अनुप्रयोग प्रदर्शित किये गए थे।[1]
फुलर ने इसके सर्वाधिकार हेतु 1944 में आवेदन किया और 1946 में उन्हें इसका सर्वाधिकार प्राप्त हुआ।
फुलर ने इस मानचित्र प्रक्षेप की रचना विश्व मानचित्र के विविध पहलुओं पर ज़ोर देकर उनके निरूपण हेतु बनाया[2]
यह प्रक्षेप, मानचित्र पर क्षेत्रफल और आकृति के बीच सामंजस्य स्थापित करने में बेहतर है। इसमें मर्केटर प्रक्षेप की तुलना में क्षेत्रफल का विरूपण काफी कम होता है और अन्य, क्षेत्रफल सही प्रदर्शित करने वाले नक्शों, की तुलना में इसपर आकृति अधिक शुद्ध रहती है।
इस नक़्शे के दिग्विन्यास की कोई निश्चित दिशा नहीं है, अर्थात इसमें ऐसा कुछ नहीं कि किसी ख़ास तरीके से इसे दीवाल पर टांगा जाय तो ऊपर उत्तर दिशा (या किसी विशेष छोर पर कोई निश्चित दिशा) होगी।
इसका प्रयोग वैश्विक स्तर पर मानव प्रवास अथवा विभिन्न प्रजातियों के प्रसरण को दिखाने के लिए सफलता पूर्वक किया गया है।
Fuller projection से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |