DRDO Glide Bomb | |
---|---|
प्रकार | स्मार्ट ग्लाइड बम[1][2] |
उत्पत्ति का मूल स्थान | ![]() |
उत्पादन इतिहास | |
निर्माता | रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन[1][2] |
निर्दिष्टीकरण | |
वजन | 1,000 कि॰ग्राम (2,200 पौंड)[1][2] |
वारहेड | उच्च विस्फोटक, आईसीएल-20 |
परिचालन सीमा | पंखों वाला- 100 किलोमीटर (54 समुद्री मील) गैर-पंखों वाला -30 किलोमीटर (16 समुद्री मील)[1][2] |
प्रक्षेपण मंच | सुखोई एसयू-३० एमकेआई (परिक्षण)[3] |
डीआरडीओ ग्लाइड बम (DRDO Glide Bombs) रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन का उत्पाद है, जो एक मानकीकृत मध्यम रेंज सटीक निर्देशित हथियार के लिए प्रोयोग किया जाएगा। यह बम भारतीय वायुसेना के लिए बहुत उपयोगी है यह लड़ाकू विमानो को सहूलित देगा की वह खतरे वाले क्षेत्र में जाए वैगैर उस लक्ष्य को खत्म कर सके। जिससे लड़ाकू विमानो की उम्र बढ़ जाएगी। क्यूकी विमान को नुकसान की कम संभावना होगी। और लक्ष्य पर सटीक वार से आस-पास के नुकसान को भी कम किया जा सकता है। प्रख्यात मिसाइल वैज्ञानिक, डॉ जी. सतेश रेड्डी निर्देशित बम के प्रोजेक्ट डायरेक्टर थे।[4] निदेशक, रिसर्च सेंटर इमरैट (आरसीआई) के रूप में उन्होंने पूर्ण एविऑनिक्स पैकेज का विकास और स्वदेशी उप सिस्टम की स्थिति का नेतृत्व किया।[5]
बम को हैदराबाद में रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन के नोडल लेबोरेटरी रिसर्च सेंटर इमारट द्वारा द्वारा डिजाइन किया गया था।[5] नोडल लेबोरेटरी रिसर्च सेंटर इमारट ने इसमे बेंगलुरु की रक्षा एवियोनिक्स रिसर्च एस्टाब्लिशमेंट (डीएआरई), चंडीगढ़ की टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लैबोरेटरी (टीबीआरएल), पुणे की अरमेंट्स रिसर्च एंड डेवलपमेंट एस्टाब्लिशमेंट (एआरडीई) आदि संस्थान की मदद ली थी।[1][2] डिजाइनिंग टीम ने बम को विशेष रूप से भारतीय वायु सेना के लिए सटीक निर्देशित हथियारों को बनाने के लिए किया है।[1][2]
डीआरडीओ ग्लाइड बम के दो रूप हैं: