डॅल्टा स्कोर्पाए (δ Sco, δ Scorpii), जिसका बायर नामांकन भी यही है, वॄश्चिक तारामंडल का एक तारा है। यह पृथ्वी से दिखने वाले सभी तारों में से ७५वाँ सब से रोशन तारा है। यह पृथ्वी से लगभग ४०२ प्रकाश वर्ष की दूरी पर है और पृथ्वी से इसका औसत सापेक्ष कांतिमान (यानि चमक का मैग्निट्यूड) +२.२९ है।
डॅल्टा स्कोर्पाए को "जूबा" (Dschubba) के नाम से भी जाना जाता है। यह अरबी के "अल-जबहाह" (ur) से लिया गया है, जिसका अर्थ "माथा" है। इस से मिलता-जुलता शब्द "जबीन" हिंदी में भी प्रयोग होता है, उदाहरण के लिए "महजबीन" (चाँद जैसे माथे वाली स्त्री) और "ज़ोहरा-जबीन" (खिले हुए फूल की तरह रोशन माथे वाली स्त्री, यह शब्द प्रसिद्ध हिंदी गाने "ऐ मेरी ज़ोहराजबीं" की पहली पंक्ति में आता है)। वॄश्चिक तारामंडल में जो बिच्छु की काल्पनिक आकृति बनती है, यह तारा उसके माथे पर स्थित है।
डॅल्टा स्कोर्पाए B0.2 IV श्रेणी का एक उपदानव तारा है। इसका व्यास (डायामीटर) सूरज के व्यास का ५ गुना और द्रव्यमान सूरज के द्रव्यमान का ६.५ गुना है। इसकी निहित चमक (निरपेक्ष कान्तिमान) सूरज से १४,००० गुना है। जून २००० में देखा गया कि यह तारा अपनी साधारण चमक से ज़्यादा रोशन है। इसकी वजह यह ज्ञात हुई कि यह अपने मध्य भाग से बहुत सी गैस व्योम में फ़ेंक रहा है।[1] वर्तमान तक यह सिलसिला जारी था। इसकी चमक ऊपर-नीचे होती रहती है लेकिन पहली जो थी उस से अधिक ही रहती है। यह भी ज्ञात हुआ है कि इसका B श्रेणी का एक साथी तारा है जो हर २० दिनों में इसकी एक परिक्रमा पूरी कर लेता है। उस से बाहर एक दूसरा साथी तारा है जो हर १० वर्षों में परिक्रमा पूरी करता है और कभी-कभी डॅल्टा स्कोर्पाए के काफ़ी पास आ जाता है। संभव है कि जो गैस का बहाव सन् २००० में शुरू हुआ वह इसी तारे के समीप आने से शुरू हुआ हो। यह भी कुछ संकेत मिले है कि संभव है कि एक तीसरा तारा भी डॅल्टा स्कोर्पाए का साथी हो।
... But all that changed a few years ago when Delta Scorpii suddenly started brightening and showing spectral features ...