तराई-दुआर सवाना और घासभूमि Terai-Duar savanna and grasslands | |
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पारिस्थितिकी | |
जैवभूक्षेत्र | इंडोमलायन |
बायोम | ऊष्ण और उपोष्ण घासभूमियाँ, सवाना और क्षुपभूमियाँ |
सीमाएँ | |
पक्षी जातियाँ | 366[1] |
स्तनधारी जातियाँ | 115[1] |
भूगोल | |
क्षेत्रफल | 34,600 कि॰मी2 (13,400 वर्ग मील) |
देश | भारत, नेपाल और भूटान |
निर्देशांक | 27°30′N 84°20′E / 27.50°N 84.33°Eनिर्देशांक: 27°30′N 84°20′E / 27.50°N 84.33°E |
संरक्षण | |
पर्यावास हानि | 90.62%[1] |
संरक्षित | 8.91%[1] |
तराई-दुआर सवाना और घासभूमि (Terai–Duar savanna and grasslands) तराई पट्टी के मध्य एक उष्णकटिबन्धीय और उपोष्णकटिबंधीय घासभूमि, सवाना और झाड़ीभूमि जैवक्षेत्र है, जो भारत उत्तराखण्ड राज्य से लेकर दक्षिणी नेपाल और फिर उत्तरी पश्चिम बंगाल तक फैला हुआ है।[2][3]
तराई-दुआर सवाना और गीलीभूमि ऊँची घासभूमियों, सवानाओं और सदाबहार और पतझड़ी वनों का मोजक है। ये घासभूमियाँ विश्व की सर्वाधिक ऊँची में से एक हैं और मानसूनी बाढ़ के कारण जमा होने वाली गाद से इनका रख-रखाव होता है। प्रमुख घासें हैं कान्स घास (Saccharum spontaneum) और बरूवा घास (Saccharum benghalensis)।
यह जैवक्षेत्र विलुप्तप्राय भारतीय गैण्डें (Rhinoceros unicornis) का आवास है और इसके अतिरिक्त हाथी, बाघ, भालू, चीता और अन्य जंगली पशु भी यहाँ पाए जाते हैं।[1]
इस जैवक्षेत्र का बहुत सा भाग कृषिभूमि में परिवर्तित किया जा चुका है, तथापि चितवन राष्ट्रीय पार्क और बार्डिया राष्ट्रीय पार्क आवास के बहुत से भाग को संरक्षित किए हुए हैं और इन पार्कों दक्षिण एशिया में गैण्डों और बाघों के सबसे बडे़ सघन क्षेत्र पाए जाते हैं।