कंपनी प्रकार | पब्लिक कंपनी |
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कारोबारी रूप | BSE: 500850, NSE: INDHOTEL |
उद्योग | हॉस्पिटैलिटी एंड टूरिज्म |
स्थापित | 1881 |
स्थापक | जमशेतजी टाटा |
मुख्यालय | मुम्बई, महाराष्ट्र, इंडिया |
प्रमुख लोग | MD & CEO Rakesh Sarna, (1 September 2014 - Present) [1] |
आय | ₹1,924.79 करोड़ (US$281.02 मिलियन) (FY2012-13) |
परिचालन आय | ₹453.34 करोड़ (US$66.19 मिलियन) (FY2012-13) |
शुद्ध आय | ₹1,924.79 करोड़ (US$281.02 मिलियन) (FY2012-13) |
मूल कंपनी | टाटा ग्रुप |
वेबसाइट | www |
इंडियन होटेल्स कंपनी लिमिटेड[2] - जिसे ताज ग्रूप के ब्रांड नेम से जाना जाता है - कि स्थापना टाटा ग्रूप के संस्थापक जमशेदजी टाटा द्वारा साल १९०३ मे की गयी थी। [3] होटेल्स और रिज़ॉर्ट्स की विस्तृत शृंखला वाली इस कंपनी का मुख्य कार्यालय ऑक्स्फर्ड हाउस, मुंबई मे है। यह कंपनी भारत के सबसे बड़े व्यापारिक संस्थानो मे से एक टाटा ग्रुप का हिस्सा है।
२०१५ की जानकारी के अनुसार ताज ग्रूप पूरे भारत मे फैले १०८ होटेल्स और यू. के, यू. एस ए., आफ्रिका, मालदीव, मलेशिया, भूटान, श्रीलंका और मिड्ल ईस्ट मे बने १७ होटेल्स का परिचालन करता है। २०१० मे इस कंपनी मे करीब १०००० कर्मचारी कार्यरत थे। ताज ग्रूप के पास कुछ निजी द्वीपों का भी स्वामित्व है।
टाटा ग्रूप के संस्थापक जमशेदजी नुसीरवानजी टाटा ने १६ दिसंबेर १९०३ को अरब सागर के तट पर मुंबई (पहले बंबई के नाम से जाना जाता था) मे ताज महल पॅलेस के नाम से एक भव्य होटेल का उद्घाटन किया। यह ताज ग्रूप के पहली परिसंपत्ति और पहला होटेल था। जम्सेत जी द्वारा इस होटेल का निर्माण करने के पीछे छुपे कारणों से जुड़ी कई दंतकथाएँ है। एक कहानी के अनुसार इसके पीछे मुंबई के वाट्सन'स होटेल (जहाँ सिर्फ़ युरोपियन लोगो को ही जाने की अनुमति थी) मे उन्हे नस्लीय भेदभाब के कारण प्रवेश ना दिया जाना कारण बना था। [4]
1984 में, ताज समूह ने एक लाइसेंस समझौते के तहत प्राप्त कर लिया, उनमे से ताज कॉन्नेमेरा चेन्नई में (अब विवांता ताज द्वारा - कॉन्नेमेरा) और सेवॉय होटल ऊटी में, बैंगलोर में ताज वेस्ट एंड के खुलने के साथ ताज समूह बैंगलोर में अपनी धावा बनाया |[5]
उन दिनो ब्रिटिश इंडिया मे होटलों के अंदर सिर्फ़ युरोपियन लोगो को ही प्रवेश दिया जाना आम बात थी, पर जमशेदजी टाटा के जैसे क्षमता वाले व्यापारी का केवल इस आधार पर होटेल का निर्माण करना थोड़ा अटपटा लगता है। एक और कहानी मे उन्होने होटेल खोलने का निश्चय तब किया जब उनके एक मित्र ने बंबई मे एक भी ढंग का होटेल न होने की शिकायत की। पर इस सन्दर्भ मे सबसे संभाव्य कारण लवेट फ्रेज़र - जमशेदजी के करीबी मित्र और आई एच. सी. एल. ग्रूप के पहले निदेशको मे से एक - का है जो कहतें हैं कि यह विचार जमशेदजी के दिमाग़ मे लंबे समय से चल रहा था और उन्होने इस विषय पर गहरा शोध भो किया था।
उनका किसी होटेल का मालिक बनने की कोई इच्छा नहीं थी और वे बस लोगों को भारत के प्रति आकर्षित करना और बंबई को बेहतर बनाना चाहते थे। कहा जाता है कि जमशेदजी ने इस होटेल की आंतरिक साज सज्जा, इसमे लगने वाली कलाकृतियों और फर्नीचर का साजो समान जुटाने के लिए लंडन, पॅरिस, बर्लिन और दुसेलडोर्फ की यात्रा की थी। [6]
साल २००० के बाद से ताज ग्रूप ने एक व्यापारिक पृथकीकरण नीति के तहत अपने होटेल्स और रिज़ॉर्ट्स को कई अनुभागो मे बाँटना शुरू कर दिया।
Taj Hotels से संबंधित मीडिया विकिमीडिया कॉमंस पर उपलब्ध है। |
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