तिलपत (तिलप्रस्थ) Tilparstha | |
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निर्देशांक: 28°28′03″N 77°19′30″E / 28.4675°N 77.3250°Eनिर्देशांक: 28°28′03″N 77°19′30″E / 28.4675°N 77.3250°E | |
ज़िला | फरीदाबाद ज़िला |
प्रान्त | हरियाणा |
देश | भारत |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 20,514 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | हरियाणवी, हिन्दी |
समय मण्डल | IST (यूटीसी+5:30) |
तिलपत (Tilpat), ऐतिहासिक रूप से तिलप्रस्थ , भारत के हरियाणा राज्य के फरीदाबाद ज़िले में यमुना नदी के किनारे स्थित एक नगर है। यह सन् 1669 में मुग़ल सलतनत के ततकालीन शासक, औरंगज़ेब, के विरुद्ध हुए जाट विद्रोह के लिए प्रसिद्ध है।[1][2][3]
10 मई 1666 को जाटों व औरंगजेब की सेना में तिलपत में लड़ाई हुई। लड़ाई में जाटों की विजय हुई। मुगल शासन ने इस्लाम धर्म को बढावा दिया और किसानों पर कर बढ़ा दिया। गोकुला ने किसानों को संगठित किया और कर जमा करने से मना कर दिया। औरंगजेब ने बहुत शक्तिशाली सेना भेजी। गोकुला को बंदी बना लिया गया और 1 जनवरी 1670 को आगरा के किले पर जनता को आतंकित करने के लिये टुकडे़-टुकड़े कर मारा गया। गोकुला के बलिदान ने मुगल शासन के खातमें की शुरुआत की।
मान्यता ह कि तिलपत महाभारत के समय का गांव है। इसका प्राचीन नाम तिलपथ हुआ करता था। महाभारत का युद्ध शुरू होने से पहले जब भगवान श्रीकृष्ण संधि का आखिरी प्रयास करने दुर्योधन के पास गए और पांडवों को 5 गांव देने की मांग की थी तो उनमें श्रीपत (सिही), बागपत, सोनीपत, पानीपत के अलावा तिलपत को भी चुना था, लेकिन दुर्योधन ने सुई की नोक के बराबर भी जमीन देने से इनकार कर दिया था। इतना ही नहीं यह भी मान्यता है कि यहां पर पांडवों ने भगवान श्रीकृष्ण के साथ यज्ञ भी किया था। जहां पर यज्ञ किया गया था, उस जगह आज बाबा सूरदास की समाधि बनी हुई है।