तेरी मेहरबानियाँ | |
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तेरी मेहरबानियाँ का पोस्टर | |
निर्देशक | बी विजय रेड्डी |
लेखक |
जगदीश कँवल, राजेश वकील (संवाद) |
पटकथा | एस सुंदरं |
निर्माता | के सी बोकाड़िया |
अभिनेता |
जैकी श्रॉफ, पूनम ढिल्लों, राज किरन, असरानी, सदाशिव अमरापुरकर, अमरीश पुरी |
संपादक | सुभाष सहगल |
संगीतकार | लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल |
प्रदर्शन तिथि |
1985 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
तेरी मेहरबानियाँ 1985 में बनी हिन्दी भाषा की फ़िल्म है। के सी बोकाड़िया निर्मित इस फिल्म में जैकी श्रॉफ और पूनम ढिल्लों के साथ ब्राउनी नाम का कुत्ता मुख्य किरदार निभाते हैं।
राम (जैकी श्रॉफ) एक ईमानदार युवा व्यक्ति है। एक दिन उसके गलती के कारण उसके मोटरसाइकिल से एक कुत्ते के पिल्ले को चोट लग जाती है। वो उसे पशु चिकित्सक के पास ले जाता है। फिर उसे अपने साथ रखता है और मोती नाम देता है। एक दिन, राम और उसका कुत्ता मोती शक्तिशाली और भ्रष्ट ठाकुर विजय सिंह (अमरीश पुरी) के गाँव में पहुँचते हैं। वहाँ उसका वाहन खराब हो जाता है और वह खूबसूरत बिजली (पूनम ढिल्लों) से मिलता है। दोनों बाद में एक-दूसरे से प्यार करने लगते हैं। ठाकुर विजय सिंह के आदमी, विशेष रूप से मुनीम बनवारीलाल (असरानी) और सरदारी (सदाशिव अमरापुरकर) ने गाँव के गरीब लोगों का फायदा उठाया है। हालाँकि, राम जल्द ही ग्रामीणों के लिए आवाज उठाता है। इस बीच, ठाकुर की आँखें बिजली पर हैं। उसके पास 2 दास भी हैं: शारदा देवी (स्वप्ना) नामक एक विधवा और गोपी (राज किरन) जो मूक है। सरदारी और मुनीम की राम के साथ भिड़ंत होती है, पर राम उनकी पिटाई कर देता है। बाद में वो शारदा और गोपी की मदद करता है और उन्हें शादी करने के लिए प्रोत्साहित करता है।
एक दिन, राम को किसी काम से शहर जाना पड़ता है, पर वो जाने से पहले मोती को बिजली की रक्षा करने को कहता है। लेकिन बिजली कुत्ते को ताला लगा के बंद कर देती है। सरदारी और मुनीम के साथ ठाकुर विजय सिंह आता है और बिजली से बलात्कार करने की कोशिश करता है। अपनी इज्जत बचाने के लिए वो अपने आप को चाकू मार कर ख़ुदकुशी कर लेती है। उसकी मौत के बाद उसके पिता (सत्येन कप्पू) अवसाद में चले जाते हैं। बिजली को बचाने में नाकाम रहने के कारण राम को मोती पर गुस्सा आ जाता है, जब वो उसे पीट रहा होता है, तो शारदा और गोपी आ जाते हैं और उसे रोक कर बताते हैं कि बिजली ने मोती को ताला लगा कर बंद कर दिया था। वो ठाकुर से बदला लेने के लिए निकल पड़ता है, पर ठाकुर और उसके साथी मिल कर उसे मार देते हैं। ठाकुर इस हत्या का आरोप गोपी पर लगा देता है और पुलिस उसे गिरफ्तार कर जेल में डाल देती है।
बिजली की मृत्यु के बाद, ठाकुर अब शारदा पर अपनी गंदी नजर रखता है और उसका अपहरण कर लेता है। हालाँकि, मोती जिसने अपने मालिक की क्रूर हत्या देखी थी, अपने मालिक की हत्या से पहले की हर घटना को याद किया और अपने मालिक के हत्यारों से बदला लिया। अंततः कुत्ते ने राम की हत्या का बदला लेने के मिशन में प्रत्येक हत्यारे को मार दिया - पहले सरदारी, फिर मुनीम और आखिरकार ठाकुर। उसे गोपी (जो पुलिस से बच निकलता है) द्वारा सहायता प्राप्त होती है और उसके साथ वह ठाकुर के झुंड से शारदा को बचाता है।
सभी गीत एस॰ एच॰ बिहारी द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।
गाने | |||
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क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
1. | "आई जवानी मोरी चुनरिया" | कविता कृष्णमूर्ति | 4:50 |
2. | "आँचल उड़ाया मैंने" | शब्बीर कुमार, कविता कृष्णमूर्ति | 7:12 |
3. | "आग लगे तन मन में" | आशा भोंसले | 5:24 |
4. | "तेरी मेहरबानियाँ" | शब्बीर कुमार | 7:02 |
5. | "दिल बेक़रार है -" | शब्बीर कुमार, अनुराधा पौडवाल | 6:36 |