द डिज़ाइन ऑफ़ एवरीडे थिंग्स (अनुवाद: रोज़मर्रा के चीज़ो का डिज़ाइन) डोनल्ड नॉर्मन की एक बेस्ट-सेलिंग [1] किताब है। इसमें उन्होने बताया है कि डिज़ाइन कैसे चीज़ और यूज़र के बीच बातचीत का तरीका बनता है, और इस्तेमाल करने के अनुभव को बेहतर बनाने के लिए बातचीत माध्यम को कैसे सही करे। किताब के मुख्य बातो में से एक ये है कि वैसे तो लोग अक्सर चीज़ो में खराबी दिखाई देने पर खुद को गलत समझने लगते है, लेकिन ये यूज़र की गलती नहीं है बल्कि डिज़ाइन की कमी दिखाता है।
किताब 1988 में द साइकोलॉजी ऑफ एवरीडे थिंग्स (अनुवाद: रोज़मर्रा के चीज़ो का मनोविज्ञान) नाम से पहली बार प्रकाशित हुई थी। नॉर्मन ने कहा कि उनके अकादमिक साथियों ने पुराने नाम को पसंद किया, लेकिन उनका मानना था कि नए नाम ने पुस्तक की कंटेंट को बेहतर तरीके से बताया और रूचि रखने वाले पढ़ने वालो को बेहतर तरीके से खींचा। [2] किताब को कई बार पोयट और डोयट से संक्षिप्त किया जाता है।
नॉर्मन केस स्टडीज़ का इस्तेमाल अच्छे और बुरे डिज़ाइन के पीछे के मनोविज्ञान बताने के लिए करते है, और डिजाइन सिद्धांतों का प्रस्ताव रखते है। किताब व्यवहार मनोविज्ञान, एर्गोनॉमिक्स, और डिजाइन अभ्यास सहित कई विषयों के बारे में बात करती है।
किताब का एक मुख्य अपडेट, द डिज़ाइन ऑफ एवरीडे थिंग्स: संशोधित और विस्तारित संस्करण, 2013 में प्रकाशित हुआ।