दक्षिणेश्वर Dakshineswar দক্ষিণেশ্বর दख्खिनेश्वर | |
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निर्देशांक: 22°52′N 88°25′E / 22.87°N 88.41°Eनिर्देशांक: 22°52′N 88°25′E / 22.87°N 88.41°E | |
देश | भारत |
प्रान्त | पश्चिम बंगाल |
ज़िला | उत्तर २४ परगना ज़िला |
जनसंख्या (2011) | |
• कुल | 3,86,019 |
भाषाएँ | |
• प्रचलित | बंगाली |
समय मण्डल | भारतीय मानक समय (यूटीसी+5:30) |
पिनकोड | 700076 |
दूरभाष कोड | +91-33 |
दक्षिणेश्वर (Dakshineswar) भारत के पश्चिम बंगाल राज्य के उत्तर २४ परगना ज़िले में बैरकपुर पौरसभा के अन्तर्गत स्थित एक शहर है। यह कोलकाता महानगर विकास प्राधिकरण के अंतर्गत आता है।[1][2] इसे सबसे विशेष रूपसे दक्षिणेश्वर काली मन्दिर के लिए जाना जाता है, जोकि जानबाजार की नवजागरण काल की ज़मीन्दार, रानी रासमणि द्वारा निर्मित एक आध्यात्मिक व ऐतिहासिक महत्व वाला काली मन्दिर है। यह मन्दिर, दार्शनिक व धर्मगुरु, स्वामी रामकृष्ण परमहंस की कर्मभूमि भी था, जोकि स्वामी विवेकानन्द के आध्यात्मिक गुरु थे। यह क्षेत्र बैरकपुर उपविभाग के बेलघड़िया थाने के अन्तर्गत आता है। दक्षिणेश्वर काली मंदिर के अलावा, अद्यापीठ मन्दिर व मठ भी यहाँ अवस्थित है।[3][4][5]
दक्षिणेश्वर, हुगली नदी के किनारे, विवेकानंद और निवेदिता के समानांतर सेतुओं के कलकत्ता छोर के निकट अवस्थित है, तथा कलकत्ता उपनगरीय रेलजाल के दक्षिणेश्वर स्टेशन के ज़रिए रेलमार्ग से, एवं बेलघरिया एक्सप्रेसवे के मदद से, सड़कमार्ग द्वारा कोलकाता के अन्य क्षेत्रों से अछि तरह जुड़ा हुआ है। इसके अलावा हुगली के फ़ेरी सेवाओं द्वारा, जलमार्ग के रास्ते भी यहाँ तक आया जा सकता है।
यह दक्षिणेश्वर क्षेत्र में, हुगली नदी के किनारे अवस्थित एक ऐतिहासिक हिन्दू मन्दिर है। यह कलकत्ता के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है, और कई मायनों में, कालीघाट मन्दिर के बाद, सबसे प्रसिद्ध काली मंदिर है। इसे वर्ष १८५४ में जान बाजार की रानी रासमणि ने बनवाया था। इस मंदिर की मुख्य देवी, भवतारिणी है, जोकि मान्यतानुसार हिन्दू देवी काली का एक रूप है। कथन अनुसार, रानी रासमणि को सपने में देवी काली ने भवतारिणी रूप में दर्शन दिया था, जिसके पश्चात, उन्होंने इस मंदिर का निर्माण करवाया। इस मंदिर का बंगाली नवजागरण में व बंगाल में हिंदुओं के बीच अत्यंत आध्यात्मिक व सांस्कृतिक महत्व रहा है।