दामोदर गणेश बापट | |
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जन्म |
1934 या 1935 पाथरोट, महाराष्ट्र, ब्रितानी भारत |
मौत |
१७ अगस्त २०१९ बिलासपुर |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
नागरिकता | भारतीय |
पेशा | सामाजिक कार्यकर्ता |
पुरस्कार | पद्मश्री |
दामोदर गणेश बापट (1934 या 1935-17 अगस्त 2019) एक भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता थे। वे भारत के छत्तीसगढ़ के जांजगीर-चांपा जिले में भारतीय कुष्ट निवारक संघ में कुष्ठ रोगियों की सेवा के लिए जाना जाता है।[1] 2018 में भारत सरकार ने उन्हें उनके सामाजिक कार्यों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया गया। उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य अलंकार से भी सम्मानित किया गया था।
दामोदर बापट का जन्म 1934 या 1935 में भारत के महाराष्ट्र के अमरावती जिले के पाथरोट गाँव में हुआ था। उन्होंने नागपुर से कला स्नातक और वाणिज्य स्नातक की डिग्री पूरी की।[2] शिक्षा पूरी करने के बाद उन्होंने कई जगहों पर काम किया। वह अपनी नौकरी से खुश नहीं थे और सामाजिक कार्यों में रुचि रखते थे।[3]
1970 में वह छत्तीसगढ़ के जशपुर चले गए और वनवासी कल्याण आश्रम के साथ स्वयंसेवा शुरू की।[4] आरम्भ में उन्होंने आदिवासी बच्चों के लिए एक शिक्षक के रूप में काम किया।[3] पढ़ाते समय वे कुष्ठ रोगियों से भी मिले और जीवन भर उनकी सेवा करने के लिए वहीं रहे।[3]
वे सदाशिव कात्रे के संपर्क में आए जिन्होंने 1962 में कुष्ठ रोगियों की देखभाल के लिए भारतीय कुष्ट निवारक संघ नामक एक संगठन की स्थापना की थी। यह चंपा से 8 किलोमीटर दूर स्थित सोथी गाँव में स्थित था।[3] दामोदर बापट ने सदाशिव कात्रे के साथ मिलकर कुष्ठ रोगियों के इलाज के साथ-साथ उनके सामाजिक और वित्तीय पुनर्वास के लिए मिलकर काम किया।[5] 1975 में दामोदर बापट को भारतीय कुश्ट निवारक संघ का सचिव नियुक्त किया गया। उसके बाद इस संघ के विकास का श्रेय उन्हें दिया जाता है।[6] 1972 से 2019 में अपनी मृत्यु तक, उन्होंने कुष्ठ रोगियों की सेवा की।[4][6] उन्होंने कुष्ठ रोग के बारे में जन जागरूकता बढ़ाने के लिए भी काम किया। दैनिक जागरण ने 2019 में बताया कि उन्होंने अनुमानित 26,000 कुष्ठ रोगियों के जीवन में सुधार किया है।[5]
2018 में भारत सरकार ने उन्हें उनके सामाजिक कार्यों के लिए पद्मश्री से सम्मानित किया।[7] उन्हें छत्तीसगढ़ राज्य द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य अलंकार से भी सम्मानित किया गया था। कोलकाता के श्री बड़ाबाजार कुमारसभा पुस्तकालय ने उन्हें विवेकानन्द सेवा पुरस्कार प्रदान किया। भाऊराव देवरस फाउंडेशन ने उन्हें भाऊराव देवरस स्मृति पुरस्कार से सम्मानित किया।[6]
12 सितंबर 2006 को कुष्ठ रोगियों के स्वास्थ्य में पुनर्वास, शिक्षा और सुधार और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए दामोदर बापट को इंदौर की श्री अहिल्योत्सव समिति द्वारा दसवें देवी अहिल्याबाई राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।[6]
जुलाई 2019 में उन्हे मस्तिष्क रक्तस्राव हुआ जिसके बाद उन्हें बिलासपुर के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया।[8] किन्तु उन्हें बचाया न जा सका। उनका निधन 17 अगस्त 2019 को सुबह 2:35 बजे छत्तीसगढ़ के एक अस्पताल में 84 वर्ष की आयु में हुआ।[1] उन्होंने अपने शरीर को अनुसंधान उद्देश्यों के लिए छत्तीसगढ़ आयुर्विज्ञान संस्थान, बिलासपुर को दान कर दिया।[3]
छत्तीसगढ़ के राज्यपाल अनुसुइया उइके और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कुष्ठ रोगियों की सेवा में उनके काम की सराहना करते हुए उनके निधन पर शोक व्यक्त किया।[8]