दाल मखनी ![]() | |
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![]() चावल के साथ दाल मखनी | |
उद्भव | |
वैकल्पिक नाम | उड़द की दाल, माश की दाल |
संबंधित देश |
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देश का क्षेत्र | पंजाब |
व्यंजन का अविष्कर्ता | कुंदन लाल गुजराल और कुंदन लाल जग्गी |
व्यंजन का ब्यौरा | |
मुख्य सामग्री | मक्खन, टमाटर, उड़द दाल, राजमा |
अन्य प्रकार | चिकन मखनी, पनीर मखनी |
लगभग कॅलोरीप्रति परोस | 350 |
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यह एक शृंखला है जो भारतीय खाना के बारे में है। |
भारतीय खाना |
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क्षेत्रीय व्यंजन पंजाबी • उत्तर प्रदेश • केरल • तमिल • ओड़िशा • छत्तीसगढ़ • सिक्किम • असमिया • गोवा • गुजराती • मराठी •
इंडो-चाइनीज • फास्ट-फूड · |
सामग्री एवं प्रकार |
इन्हें भी देखें |
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दाल मखनी एक लोकप्रिय व्यंजन है जिसका उद्भव भारतीय उपमहाद्वीप के पंजाब क्षेत्र से हुआ है। दाल मखनी में प्रमुखता से उपयोग की जाने वाली सामग्रियाँ हैं काली उड़द दाल, लाल राजमा, मक्खन और क्रीम।
दाल मखनी भारतीय उपमहाद्वीप का एक प्रधान व्यंजन है। यह भारत में विभाजन (१९४७ ) के बाद काफी मशहूर हुआ जब पंजाब से कई लोग भारत के उत्तरी क्षेत्रों में रहने के लिए आए [1] पंजाबी समाज जब भारत एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय जगहों पर प्रवास करने लगा तब उन्हीं लोगों के द्वारा स्थानियों लोगों को यह व्यंजन प्रस्तुत किया गया था। कुंदन लाल गुजराल ने दरियागंज, दिल्ली, भारत में मोती महल रेस्तरां खोला एवं दाल मखनी को यहाँ के स्थानीय लोगों से परिचित कराया।[2] दाल मखनी सबसे पहले सरदार सिंह द्वारा बनाई गई थी एवं अब यह सार्वभौमिक तौर पर एक भारतीय डिश के रूप में मान्यता प्राप्त है। बहुत सारे होटलों एवं रेस्तरां में यह कई अलग रूपों में पेश की जाती है। दाल मखनी की लोकप्रियता का प्रमुख कारण इसका विविधता पूर्ण होना है। शाकाहारी व्यंजन होने के चलते इसे एक मुख्य भोजन के रूप में भी परोसा जा सकता है एवं बुफे में भी। भारत में सूप एवं करी जिनमे लाल (मसूर) या पीले रंग की दाल का प्रयोग होता है यहाँ के प्रमुख आहारों में से एक है। हालाँकि दाल मखनी के भारीपन एवं लंबी तैयारी की प्रक्रिया के कारण कई भारतीय अब इसको केवल कोई महत्वपूर्ण दिन जैसे जन्मदिन, राष्ट्रीय छुट्टियों, शादियों और धार्मिक रीति-रिवाजों के दिन ही बनाते हैं।
पारंपरिक तौर पर दाल मखनी के तैयारी में कई प्रक्रियाऐं होती हैं जो काफी लम्बा समय लेती हैं और इनको पूरा करने के लिए 24 घंटे तक का समय लग सकता है। दाल की चमक क्रीम के इस्तेमाल से काफी बढ़ जाती है एवं यह दही, दूध या बिना दूध के साथ भी तैयार की जा सकती है। खाना पकाने के आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता के चलते एवं बिजली से चलने वाले प्रेशर कुकर के कारण इसकी तैयारी का समय काफी घट गया है एवं 2-3 घंटे से भी कम का रह गया है।