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जन्म | १४ सितम्बर १९४७ |
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मौत | २ जुलाई २०१२ |
पेशा | कवि, नवगीतकार |
राष्ट्रीयता | भारतीय |
सक्रिय वर्ष | १९७0 - २0१२ |
दिनेश सिंह (१४ सितम्बर १९४७ - २ जुलाई २०१२[1]) हिंदी गीत-नवगीत साहित्य के प्रसिद्ध हस्ताक्षर हैं। 'पूर्वाभास', टेढ़े-मेढ़े ढाई आखर[2], समर करते हुए[3], मैं फिर से गाऊँगा[4] आदि गीत संग्रह के अलावा इनके गीत, नवगीत, छन्दमुक्त कविताएँ, रिपोर्ताज, ललित निबंध, समीक्षाएँ आदि 'धर्मयुग', 'साप्ताहिक हिन्दुस्तान', श्रेष्ठ हिंदी गीत संचयन[5], अवधी ग्रन्थावली (खण्ड चार : आधुनिक साहित्य-खण्ड), समकालीन गीत: अन्तः अनुशासनीय विवेचन[6], आजकल[7] आदि ग्रंथों, पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं। इन्होंने हिंदी कविता की अनियतकालीन पत्रिका 'नये-पुराने'[8] का संपादन किया था।
दिनेश सिंह का जन्म रायबरेली, उत्तरप्रदेश के एक छोटे से गाँव गौरारुपई में हुआ था। इनके दादा अपने क्षेत्र के जाने-माने तालुकदार थे। पिता चिकित्सा अधिकारी थे, जिनकी मृत्यु इनके जन्म के पाँच वर्ष बाद ही हो गई। इनकी शिक्षा स्नातक तक हुई। उन्होंने उत्तर प्रदेश शासन के स्वास्थ्य विभाग में कार्य किया। २ जुलाई २०१२ को इनका निधन हो गया।
दिनेश सिंह की पहली कविता सच्चिदानंद हीरानंद वात्स्यायन 'अज्ञेय' द्वारा संपादित 'नया प्रतीक' में प्रकाशित हुई थी। 'धर्मयुग', 'साप्ताहिक हिन्दुस्तान' सहित देश की अनेकों पत्र-पत्रिकाओं में आपके गीत, नवगीत, आलेख, छन्दमुक्त कविताएँ, रिपोर्ताज, ललित निबंध तथा समीक्षाएँ प्रकाशित। आपके नवगीतों को डॉ॰ शम्भुनाथ सिंह द्वारा संपादित 'नवगीत दशक' तथा 'नवगीत अर्द्धशती' में संकलित किया गया था। इन्होंने कविता पत्रिका 'नये-पुराने' (अनियतकालीन)[9] का संपादन भी किया था।
नवगीत संग्रह : 'पूर्वाभास', 'समर करते हुए', 'टेढ़े-मेढ़े ढाई आखर', 'मैं फिर से गाऊँगा'
दिनेश सिंह के नवगीतों में आज़ादी के बाद भारतीय गाँव-समाज में हो रहे आमूल-चूल परिवर्तन और भारतीय संस्कृति में रचे-बसे नागरिकों की भिन्न-भिन्न मनःस्थिति पूरी लयात्मकता के साथ अभिव्यक्त हुई है।
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