दीवाना मस्ताना | |
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दीवाना मस्ताना का पोस्टर | |
निर्देशक | डेविड धवन |
लेखक |
अनीस बज़मी प्रयाग राज |
निर्माता | केतन देसाई |
अभिनेता |
गोविन्दा अनिल कपूर जूही चावला जॉनी लीवर |
छायाकार | रवि के. चन्द्रन |
संपादक | ए मुत्थू |
संगीतकार | लक्ष्मीकांत प्यारेलाल |
प्रदर्शन तिथियाँ |
23 सितम्बर, 1997 |
देश | भारत |
भाषा | हिन्दी |
दीवाना मस्ताना 1997 की डेविड धवन द्वारा निर्देशित हिन्दी भाषा की हास्य प्रेमकहानी फ़िल्म है। फिल्म में अनिल कपूर, गोविन्दा और जूही चावला ने मुख्य भूमिका निभाई हैं। जॉनी लीवर, अनुपम खेर, रीमा लागू, शक्ति कपूर, सईद जाफ़री और कादर ख़ान ने सहायक भूमिका निभाई है। जबकि सलमान खान विशेष उपस्थिति में दिखे हैं।[1] फिल्म रिलीज होने पर सफलता रही थी।
इस फिल्म को दो सुपर स्टार सलमान खान और जूही चावला के एक साथ दिखने के लिये भी जाना जाता है। ऐसा सिर्फ एकमात्र बार हुआ कि वो किसी एक फ़िल्म में एक साथ दिखाई दिये। यह आवरगी (1990) के बाद अनिल कपूर और गोविन्दा की एक साथ पहली फिल्म थी। 2007 में सलाम-ए-इश्क़ में सभी चार कलाकार उपस्थित हुए।
राजा (अनिल कपूर) एक मामूली बदमाश है जो अमीरपुर स्टेशन के काले बाजार पर रेलवे टिकट बेचता है। अपने काम से वो थक गया है और वह जल्दी पैसा बनाने के नए तरीकों की तलाश में है। एक दिन, अपने दोस्त गफूर (जॉनी लीवर) और एक पुलिस निरीक्षक (अवतार गिल) के साथ, उसने रेलवे खजाने से 25 लाख रुपये लूट लिए। बाद में, राजा और गफूर ने इंस्पेक्टर को धोखा दे दिया और लूट के साथ बंबई भाग गए।
बॉम्बे हवाई अड्डे पर, राजा मनोचिकित्सक डॉ नेहा (जूही चावला) को देखता है और तुरंत उसके साथ प्यार में पड़ता है। राजा और गफूर जल्दी से पता लगाते है कि वह कहाँ रहती है। गफूर मनोवैज्ञानिक रोगी होने का नाटक करता है, जबकि राजा राज कुमार नाम धारण करता है और उससे मित्रता करता है। वह उसे बताते हैं कि वह अमेरिका से लौटे हैं।
समस्या तब शुरू होती है जब एक अमीर व्यापारी (अनुपम खेर) के पुत्र बुन्नू (गोविन्दा) को इलाज के लिए नेहा के पास भेजा जाता है। वह पागल है और उसे आग, ऊंचाइयों, दौड़ने और पानी से डर लगता है। जल्द ही, वह भी नेहा से प्यार करने लगता है और उसे पता चलता है कि उसके पास राजा के रूप में प्रतिद्वंद्वी है। नेहा को अपने चाचा (शक्ति कपूर) की शादी में भाग लेने के लिए अपने पिता (सईद जाफ़री) के साथ ऊटी के लिए जाना पड़ता है। वह पता किसी को नहीं बताती है। राजा और बुन्नु दोनों पुलिसकर्मियों का प्रतिरूपण करते हैं और उसके सचिव को डराते हैं कि वह कहाँ है। नेहा उन्हें ऊटी में देखकर रोमांचित होती है लेकिन वह राजा के बजाय बीमार बन्नू के करीब आ जाती है।
चीजें भद्दा मोड़ लेती हैं जब गफूर बुन्नू को मारने की कोशिश करता है। लेकिन वह बच निकलता है। राजा को रास्ते से हटाने के लिए बुन्नु हत्यारा पप्पू पेजर (सतीश कौशिक) से संपर्क करता है। हालांकि, वह योजना विफल हो जाती है। सोने की अँगूठी और मंगलसूत्र के साथ नेहा बुन्नु और राजा को जाहिर तौर पर विवाह के उद्देश्य से अदालत में बुलाती है। दोनों वहाँ एक दूसरे को देखकर आश्चर्यचकित हो जाते हैं।
फिर उन्हें पता चलता है कि नेहा किसी और से शादी कर रही हैं: प्रेम (सलमान खान)। राजा और बुन्नू उसके विवाह के गवाह बन जाते हैं। अंत में जब राजा और बुन्नु एक साथ चलते हैं तो उन्हें एक सुंदर लड़की (रवीना टंडन) दिखाई देती है ।
सभी गीत आनंद बख्शी द्वारा लिखित; सारा संगीत लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल द्वारा रचित।
क्र॰ | शीर्षक | गायक | अवधि |
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1. | "दिल चाहे किसी से" | अलका याज्ञिक | 3:45 |
2. | "ये गया वो गया" | विनोद राठोड़, अलका याज्ञिक | 5:23 |
3. | "हेड या टेल" | विनोद राठोड़, उदित नारायण | 6:01 |
4. | "हंगामा हो गया" | सोनू निगम, पूर्णिमा | 5:00 |
5. | "तेरे बिना दिल" | उदित नारायण, अलका याज्ञिक, विनोद राठोड़ | 8:09 |
6. | "ओ मम्मी मम्मी" | उदित नारायण | 6:29 |
वर्ष | नामित कार्य | पुरस्कार | परिणाम |
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1998 | जॉनी लीवर | फ़िल्मफ़ेयर सर्वश्रेष्ठ हास्य अभिनेता पुरस्कार | जीत |