दून विद्यालय (द दून स्कूल) | |
स्थापना | १० सिनंबर, १९३५ |
प्रधानाचार्य | डॉ॰ कांति प्रसाद बाजपेयी |
स्थिति | देहरादून, उत्तराखंड, भारत |
संबद्धता | काउंसिल फ़ॉर् द इंडियन स्कूल सर्टिफ़िकेट एग्ज़ामिनेशंस |
विद्यार्थी | कुल ५२५ (लगभग ३७० कक्षा ९-१२ में) |
शिक्षक | अनुमानित ६५ |
नीति वाक्य (मोटो) | ज्ञान हमारा प्रकाश (Knowledge our Light) |
रंग | नीला और सुनहरा |
प्रकार | निजी/स्वतंत्र विद्यालय |
मुखपृष्ठ | https://web.archive.org/web/20090308085008/http://www.doonschool.com/info/ouroldboys.htm |
दून विद्यालय भारत के जाने-माने निजी/स्वतंत्र विद्यालयों मे से एक है, जो देहरादून, उत्तराखंड में है। यह विद्यालय कुल ७० एकड़ (२,८०,००० वर्ग मीटर) में फैला है। सन् १९३५, मे इस विद्यालय की स्थापना सतीश संजन दास द्वारा हई थी। वे भारत के एक स्वतंत्रता सेनानी चितरंजन दास और भारत के एक मुख्य न्यायाधीश सुधि संजन दास के बंधु थे। इस विद्यालय के सर्वप्रथम प्रधानाध्यापक के आर्थर ई फूट, जो पहले एटन महाविद्यालय में विज्ञानाध्यापक थे। इस विद्यालय में यह पद स्वीकार करने से पहले फूट कभी भी भारत नहीं आए थे और उन्होनें सबसे पहले हैरो से जे ए के मार्टिन को अपना उप प्रधानाध्यापक नियुक्त किया।
रविन्द्रनाथ टैगोर द्वारा रचित जन गण मन को १९३५ में विद्यालय गान चुना गया, जिसे बाद में सन् १९४७ में भारत का राष्ट्र गान चुना गया। इस विद्यालय का उद्देश्य युवा भारतीयों को एक उदारवादी शिक्षा प्रदान करना है, जिससे उनमें धर्मनिरपेक्षता, अनुशासन और समानता के सिद्धांतों के प्रति आदर भाव जगे।
२००८ में, एज्युकेशन व्लर्ड द्वारा कराए गए एक सर्वेक्षण में इस विद्यालय को भारत के "सबसे सम्मानित आवासीय विद्यालय" का दर्जा दिया गया।